अमेरिका से जॉब छोड़ गांव आया, दिमाग में था धमाकेदार आइडिया, आज खड़ी कि 2 हजार करोड़ रुपये की कंपनी

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फिनटेक यूनिकॉर्न रेजरपे अब करीब 7.5 अरब डॉलर की कंपनी बन चुकी है, यह इस कंपनी का मूल्यांकन है कंपनी को लगभग 375 मिलियन डॉलर की फंडिंग मिलने के बाद इसका वैल्यूएशन भी बढ़ चुकी है. पेटीएम के बाद रेजरपे अब इस क्षेत्र में भारत का दूसरा सबसे मूल्यवान स्टार्ट-अप बन चूका है.

अक्टूबर 2020 में रेजरपे का मूल्य $1 बिलियन था, जो की अप्रैल 2021 में बढ़कर $3 बिलियन हो चूका था कोरोना महामारी के दौरान भी रेजरपे की काफी ज्यादा ग्रोथ हुई है.

रेजरपे के सीईओ और सह-संस्थापक हर्षिल माथुर ने कहा, “हमने इन सात सालों में एक लंबा सफर तय किया है और आगे भी बहुत कुछ करेंगे. हमें विश्वास है कि हम भारत के लगभग हर क्षेत्र में पेमेंट और बैंकिंग के तरीके को बदलाव लाएंगे”.

रेजरपे के सीईओ और सह-संस्थापक हर्षिल माथुर ने कहा, “हमने इन 7 वर्षों में एक बहुत ही लंबा सफर तय करा है और भविष्य में और भी बहुत कुछ करेंगे. हमें विश्वास है कि हम भारत के लगभग हर क्षेत्र में भुगतान और बैंकिंग के तरीको में बदलाव लाएंगे”.

रेजरपे कंपनी भारत में सबसे बड़े पेमेंट गेटवे में से एक है और कई ऑनलाइन कारोबारों की तरह इस कंपनी ने भी कोरोना महामारी की आपदा को अवसर में बदल दिया. क्योंकि इस दौरान सब कुछ ऑनलाइन हो चूका था.

कंपनी व्यापार में वेबसाइट या ऐप के माध्यम से ऑनलाइन पेमेंट स्वीकार करने, प्रोसेस करने और वितरित करने के लिए बुनियादी ढांचा प्रदान करती है. इसका उद्देश्य पैसे के लेन-देन और प्रबंधन को परेशानी मुक्त बनाना है. इसी तरह साल दर साल कंपनी ने अपने पोर्टफोलियो का विस्तार किया है.

कंपनी व्यवसाय में वेबसाइट या ऐप के माध्यम से ऑनलाइन भुगतान स्वीकार करने, संसाधित करने और वितरित करने के लिए बुनियादी ढांचा प्रदान करती है. इसी तरह साल दर साल कंपनी ने अपने पोर्टफोलियो का विस्तार भी करा है.

रेजरपे के दो फाउंडर्स हैं. शशांक कुमार और हर्षिल माथुर. दोनों ने आईआईटी रूड़की से पढ़ाई की है. शशांक पटना से हैं जिनके पिता एसबीआई में काम करते थे.

रेजरपे के दो संस्थापक हैं. शशांक कुमार और हर्षिल माथुर. दोनों ने ही आईआईटी रुड़की से पढ़ाई करी हुई है पटना से हैं शशांक, आईआईटी, रुड़की से अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद, शशांक ने माइक्रोसॉफ्ट, सिएटल में एक सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट इंजीनियर के रूप में काम करा था. वहीं, हर्षिल मध्य पूर्वी देश में काम करने के लिए निकला था.

शशांक एक बार कहा था कि, “मैं और हर्षिल काफी प्रोजेक्ट्स पर साइड में काम करते होते थे. साल 2014 में ऐसे ही एक प्रोजेक्ट में, हम ऑनलाइन डोनेशन को इकट्ठा कर लेने के लिए एक क्राउडसोर्सिंग प्लेटफॉर्म पर काम कर रहे थे. और तभी हमने यह महसूस करा कि अधिकांश ऑनलाइन भुगतान गेटवे बोझिल थे.

जब हमने कई पेमेंट गेटवे कंपनियों से संपर्क करा और फिर उनका विश्लेषण करने पर पता चला कि उनकी सेवाएं अच्छी नहीं थीं. तकनीकी रूप से भी वह खराब ही थी. ऐसे बुरे अनुभवों का सामना करने के बाद, हमने ऑनलाइन भुगतान की समस्या को हल करने का फैसला लिया.”

रेजरपे में 100 से अधिक मुद्राओं में लेनदेन होता है. जिससे दुनिया भर में इसकी पहुंच का अंदाजा लगाया जा सकता है. इसके अलावा कंपनी 25 से अधिक उत्पाद उपलब्ध कराती है.

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