दोस्तों आपने फिल्म ‘स्लम डॉग मिलियनेयर’ तो देखी ही होगी और इस फिल्म की कहानी तो आपको याद ही होगी. इस फिल्म में जिस तरह अभिनेता जमाल मलिक एक झुग्गी बस्ती से करोड़पति बन जाते हैं, उसी तरह आज जिसकी कहानी आपको पेश की जा रही है, वह इस फिल्म की कहानी को अपने जीवन में साकार करके करोड़पति बनने में कामयाब रहे हैं.
झारखंड के धनबाद में एक गरीब घर में जन्में अंबरीश मित्रा बचपन से ही वंचित रह गए थे. वह अच्छी शिक्षा के साथ इंजीनियर बनना चाहता था. लेकिन अंबरीश बिल्कुल भी पढ़ना नहीं चाहता था. बार-बार मना करने के बावजूद उन्होंने किसी तरह अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की. अंबरीश को बचपन से ही कंप्यूटर का शौक रहा है.
अपने पिता के बार-बार पढ़ने के दबाव के बाद उन्होंने घर छोड़ने का फैसला किया. 15 वर्ष की अल्पायु में ही वे घर से भाग कर दिल्ली आ गए। रहने के लिए जगह की तलाश करने के बाद, अंबरीश ने झुग्गी-झोपड़ियों में रहने का फैसला किया और जीवन यापन के लिए अखबार बेचना शुरू कर दिया.
एक दिन, एक अखबार बेचते समय, अंबरीश ने एक विज्ञापन देखा जिसमें एक व्यावसायिक विचार मांगा गया था. साथ ही सबसे अच्छा आइडिया देने वाले को 5 लाख रुपये का नकद पुरस्कार दिया गया. अंबरीश ने महिलाओं को मुफ्त इंटरनेट देने के अपने विचार के लिए पुरस्कार राशि जीती.
इस पैसे से उन्होंने वुमन इंफोलाइन नाम की एक छोटी सी कंपनी शुरू की, लेकिन इससे पैसे की कमी होने लगी. इसके बाद वह कुछ नया करने के लिए 2000 में लंदन चले गए.
खुद को सहारा देने के लिए, वह लंदन में एक बीमा कंपनी में शामिल हो गए. इस बीच, अंबरीश को शराब की लत लग गई और वह नियमित रूप से पब जाने लगा. एक दिन, लंदन के एक पब में अपने आखिरी ड्रिंक के दौरान, उन्होंने अपने दोस्त उमर तैय्यब के सामने 15 डॉलर रखे और मजाक में कहा, “कितना अच्छा होता अगर महारानी एलिजाबेथ नोट से बाहर आ जातीं” मजाक के तौर पर उमर ने अंबरीश की फोटो भी खींची और रानी की फोटो पर लगा दी. इस जोक ने उन्हें ऐसा ऐप बनाने का आइडिया दिया।
फिर 2011 में उन्होंने ब्लिपर नाम से एक कंपनी शुरू की जो मोबाइल फोन के लिए ‘ऑगमेंटेड रियलिटी’ ऐप बनाती है. उनके इस विचार ने सॉफ्टवेयर की दुनिया को 170 देशों में तहस-नहस कर दिया। इतना ही नहीं, इसने जगुआर, यूनिलीवर और नेस्ले जैसी बड़ी कंपनियों के साथ भी करार किया है. आज कंपनी का सालाना कारोबार लाखों डॉलर का है. 2016 में कंपनी की वैल्यू करीब 1.5 अरब डॉलर यानी 10,000 करोड़ रुपये आंकी गई थी.