सफलता किसी को विरासत में नहीं मिलती है, लेकिन परिणाम की चिंता किए बिना कड़ी मेहनत करने से सफलता मिलती है. हर व्यवसायी की यही ख्वाहिश होती है कि उसका कारोबार दिन-ब-दिन बढ़े और तरक्की के पथ पर आगे बढ़ते रहे. लेकिन कुछ ही कुशल लोग ही इस दौड़ को जीतने में सफल होते हैं. आज हम आपके लिए एक सफल भारतीय मूल के उद्यमी की कहानी लेकर आए हैं, जो एक झुग्गी-झोपड़ी परिवार में पैदा हुआ और अरबपतियों की श्रेणी में शामिल हो गया.
उन्होंने अपनी पहली कंपनी का प्रबंधन करने के लिए 16 साल की उम्र में अपनी पढ़ाई छोड़ दी. 25 साल की उम्र में, उन्होंने 23 अरब रुपये की दो विज्ञापन कंपनियों की स्थापना की और याहू जैसे दिग्गजों के साथ कई अरब डॉलर के सौदे हासिल करने में सफल रहे. भारतीय मूल के इस उद्यमी को दुनिया में एडवरटाइजिंग किंग के नाम से जाना जाता है. जी हां, हम बात कर रहे हैं गुरबख्श चहल की, जिन्होंने एड टेक की दुनिया में अपना ही आतंक मचा रखा है.
गुरबख्श का जन्म पंजाब के तरनतारन में हुआ था और उनके जन्म के तीन साल बाद पूरा परिवार अमेरिका आकर बस गया. अमेरिका में पूरा परिवार झुग्गी-झोपड़ी में रहने को मजबूर था. परिवार ने किसी तरह छोटा-मोटा कारोबार कर अपना पेट पालना शुरू किया.
गुरबख्श को बचपन से ही टेक्नोलॉजी, इंटरनेट आदि में बहुत दिलचस्पी थी लेकिन टूल्स की कमी के कारण ज्यादा कुछ नहीं कर पाया. हालांकि, इंटरनेट विज्ञापन में बढ़ती दिलचस्पी ने गुरबख्श को अपनी कंपनी शुरू करने के लिए प्रोत्साहित किया. 16 साल की उम्र में उन्होंने ‘क्लिक वेंचर’ नाम से अपनी पहली कंपनी खोली.
जैसे ही कंपनी शुरू हुई, गुरबख्श ने अपनी पढ़ाई को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया और पूरे दृढ़ संकल्प के साथ अपने व्यवसाय को आगे बढ़ाने का फैसला किया. उस समय विज्ञापन तकनीक की दुनिया एक नई अवधारणा थी और विज्ञापन की मांग भी बहुत कम थी. पहले छह महीने तक उन्हें कोई ठेका नहीं मिला. वह बस निराश था लेकिन उसने हार नहीं मानी और अपने प्रयास जारी रखे.
कुछ महीने बाद, उन्हें एक विज्ञापन क्लिक कार्यक्रम के लिए लंदन के एक प्रोग्रामर से एक अनुबंध प्राप्त हुआ. धीरे-धीरे उसे ग्राहक मिलने लगे और कंपनी बढ़ती गई. जब उनके ग्राहक आधार में उल्लेखनीय वृद्धि हुई, तो उन्होंने दो और कंपनियां, ब्लू लीथियम और रेडियमवन एड क्लिक शुरू कीं.
2007 में गुरबख्श ने अपनी कंपनी ब्लू लीथियम को याहू को 30 करोड़ डॉलर (करीब 2000 करोड़ रुपये) में बेच दिया. इस डील के बाद ग्लोबल एड टेक की दुनिया में उनका नाम घरेलू नाम बन गया. इस डील ने चहल को 25 साल की उम्र में अरबपति बना दिया. इंटरनेट विज्ञापन की दुनिया में अपने प्रवेश को और मजबूत करने के लिए, उन्होंने ‘ग्रेविटी -4’ नामक एक और कंपनी की स्थापना की, जिसका मुख्यालय सैन फ्रांसिस्को में है.
चहल को अमेरिका में मशहूर ‘द ओपरा विनफ्रे शो’ में बतौर गेस्ट इनवाइट किया गया था. इस शो में उन्हें ‘मोस्ट एलिजिबल बैचलर’ का अवॉर्ड भी मिला था. चहल का स्लम बॉय से लेकर अरबपति बिजनेसमैन तक का सफर दुनिया भर के युवाओं के लिए रोल मॉडल माना जाता है.