एक ज़माने में बेटी पैदा होनें पर बर्फी लेने के तक पैसे नहीं थे; आज है 20 करोड़ रुपये के मालिक

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काम जो भी हो, वह छोटा या बड़ा नहीं होता. हमारा नजरिया ही उसे बड़ा या छोटा बना देता है. अगर आप पूरी लगन और ईमानदारी से प्रयास करेंगे तो आपको सफलता जरूर मिलेगी. यदि आपके पास काम के प्रति निष्ठा और सम्मान है, तो यह आपको भुगतान करेगा और आपको जीवन में एक अलग स्तर पर ले जाएगा. लेकिन आज कुछ युवाओं को छोटे-छोटे काम करने में शर्म आती है. यह वर्तमान उच्च बेरोजगारी दर का कारण है. आज समाज में यह धारणा है कि व्यक्ति को तब तक सम्मान नहीं मिलता जब तक वह किसी अच्छे पद पर नहीं पहुंच जाता.

लेकिन आज की सफलता की कहानी आज के युवाओं के लिए आईना है. क्योंकि आज हम बात करने जा रहे हैं उस युवक की जिसने चाय बेचने का धंधा शुरू किया, इन सब बातों को नज़रअंदाज कर दिया, जिसे करने में आज के युवा को शर्म आती है. आज हजारों लोग रोजाना अपनी मुट्ठी भर चाय पीते हैं और उनकी मासिक कमाई सुनकर आपको यकीन नहीं होगा.

आज की कहानी के हीरो को पूरा महाराष्ट्र जानता है. पुणे से नवनाथ येवले. आज येवले चाय के जरिए महाराष्ट्र के कोने-कोने में पहुंच गए हैं. ये वही नवनाथ येवले हैं जिनके पास बेटी के जन्म के बाद बर्फी खरीदने के लिए भी पैसे नहीं हैं. लेकिन आज हम आपके सामने एक सफल उद्यमी के रूप में खड़े हैं. अब चाय बेचने वाले का कहना है कि दिमाग में एक साधारण होटल व्यवसायी का चेहरा आता है. आप विश्वास नहीं कर सकते कि वह चाय को चाय बेचकर उतना पैसा कमा रहा है जितना बड़े व्यापारी नहीं हैं. जी हां, नवनाथ का आज सालाना कारोबार 40 करोड़ रुपये है.

आज नवनाथ येवले महाराष्ट्र के सबसे अमीर चाय वाले के रूप में जाने जाते हैं. आपको अपने देश में हर जगह चाय के दीवाने मिल जाएंगे आज भारत के किसी भी कोने में जाइए आपको वहां चाय की दुकानें और भीड़ नजर आएगी. सुबह से शाम तक लोग चाय से जुड़ते हैं. अन्य लोगों की तरह नवनाथ को भी चाय बहुत पसंद थी. ऐसे में उनके दिमाग में चाय के बिजनेस का आइडिया आया.

उन्होंने पुणे में चाय की रोटी बेचने का व्यवसाय शुरू करने का फैसला किया. वैसे उनका कारोबार किसी और छोटी चाय की दुकान की तरह चल रहा था. लेकिन अपनी चतुराई से उन्होंने व्यापार को बहुत बड़ा कर दिया. उन्होंने पुणे में येवले टी नाम से एक चाय बेचने वाला स्टार्टअप शुरू किया. उन्होंने सोचा भी नहीं था कि लोग उनकी चाय को इतना पसंद करेंगे. लोगों को उनकी चाय का स्वाद बहुत पसंद आया. नतीजा यह हुआ कि उनके पास चाय पीने वाले ज्यादा आने लगे. लोग उनकी चाय की सराहना करते थे और दूसरों को चाय के लिए अपनी दुकान पर लाते थे. उन्होंने ग्राहकों की रुचि के कारण अपने व्यवसाय का विस्तार करने का निर्णय लिया.

नवनाथ ने इस व्यवसाय को शुरू करने से पहले ही चाय और इस व्यवसाय का अध्ययन किया था. लोग किस तरह की चाय पसंद करते हैं, चाय में कौन सी चीजें डालनी है. उन्होंने इन सब बातों का ध्यानपूर्वक अध्ययन किया. वह लगातार चाय के साथ एक्सपेरिमेंट भी कर रहे थे, लोगों के रिएक्शन ले रहे थे. इसलिए उनकी चाय का स्वाद लोगों की जुबान पर रहा. येवले टी स्टॉल पर चाय पीने वालों की भीड़ बढ़ने लगी. धीरे-धीरे उनकी चाय का स्वाद पूरे शहर में फैल गया. येवले की चाय की दुकान पर दूर-दूर से लोग चाय पीने के लिए आने लगे.

उन्होंने अपनी पहली दुकान पर 4 साल तक प्रयोग किया और आखिरकार एक ऐसा फॉर्मूला लेकर आए जो लोगों को पसंद आया. भीड़ को देखकर उन्हें दुकान में कर्मचारियों को रखना पड़ा. देखते ही देखते उन्होंने दूसरी शाखा खोल दी. उन्होंने अपनी चाय की फ्रेंचाइजी का नाम येवले नेक्टर रखा. यह येवले का अमृत है. उनकी प्रत्येक फ्रेंचाइजी में 10 से 12 लोग कार्यरत हैं. उनकी एक दुकान में एक दिन में 3,000 से 4,000 कप चाय बिकती है. नतीजतन, उनका वार्षिक कारोबार आज 40 करोड़ रुपये से अधिक है. तब से, येवले टी हाउस की लोकप्रियता इतनी बढ़ गई है कि वे अब इस चाय ब्रांड को दुनिया भर में लोकप्रिय बनाना चाहते हैं.

भविष्य में वनथ ने देश और विदेश में येवले अमृत के कई और केंद्र खोलने और इसे एक अंतरराष्ट्रीय ब्रांड बनाने की योजना बनाई है. उनका मानना ​​है कि इससे न सिर्फ उनका ब्रांड बड़ा होगा, बल्कि हजारों युवाओं को रोजगार भी मिलेगा.

नवनाथ ने साबित कर दिया कि दुनिया में कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता. बड़ा हो या छोटा, बस लोगों के सोचने का तरीका और उनका नजरिया होता है. अगर आप अपना नजरिया बदलेंगे तो शायद पूरी स्थिति बदल जाएगी. लोग नवनाथ की येवले अमृत जैसी फ्रेंचाइजी का इंतजार कर रहे हैं, जो कभी बिस्किट खाकर पेट भरते थे.

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