एक समय था जब कंपनी का सब कुछ बेचना पड़ा, हिम्मत नहीं हारी और आज कमा रही है करोड़ों में

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आज हम बात कर रहे है प्रसिद्ध भारतीय उद्यमी सुलज्जा फिरोदिया मोटवानी के बारे में जो आज काइनेटिक मोटर कंपनी लिमिटेड और काइनेटिक इंजीनियरिंग लिमिटेड के संयुक्त प्रबंध निदेशक हैं.

आज वह भारत में महिला सशक्तिकरण की शक्ति की पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल बनकर उभरी हैं. आज उनका नाम भारत की चुनिंदा शीर्ष महिला उद्योगपतियों की सूची में शामिल है. आइए जानते हैं सुलज्जा फिरोदिया मोटवानी की सफलता की कहानी विस्तार से

जानिए सुलज्जा फिरोदिया मोटवानी के जन्म, परिवार और प्रारंभिक जीवन के बारे में

भारत के पुणे शहर में सुलज्जा फिरोदिया मोटवानी का जन्म 26 अगस्त 1970 को हुआ. उनके पिता का नाम ‘अरुण फिरोदिया’ था. उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पुणे में ही पूरी की और वर्ष 1990 में पुणे विश्वविद्यालय से वाणिज्य विषय में स्नातक की पढ़ाई पूरी की इसके बाद सुलज्जा फिरोदिया मोटवानी ने कारनेगी मेलॉन विश्वविद्यालय, पिट्सबर्ग, यूएसए से अपनी मास्टर डिग्री पूरी की.

ऐसा था सुलज्जा फिरोदिया मोटवानी का कैरियर

सुलज्जा फिरोदिया मोटवानी ने कैलिफोर्निया की एक कंपनी में कार्य अनुभव प्राप्त करा और फिर उसके बाद साल 1996 में भारत फिर से वापस आ गई | इसके बाद सुलज्जा फिरोदिया मोटवानी ने काइनेटिक ग्रुप की कार्य संस्कृति और मानव संसाधनों को समझने के लिए काइनेटिक ग्रुप की वेल्डिंग मशीन निर्माता जयहिंद इंडस्ट्रीज के साथ अपना करियर शुरू किया. यह वह समय था जब होंडा मोटर कंपनी बाजार में मोटरसाइकिलों की तेजी से बढ़ती मांग के कारण काइनेटिक के साथ अपनी साझेदारी को समाप्त करना चाह रही थी.

कंपनी के मार्केटिंग नेटवर्क को मजबूत करने की दिशा में काम करते हुए उन्होंने सबसे पहले करीब 200 नए सेलर्स से संपर्क किया..फिर दोपहिया बाजार में बहुत ही तेजी से बढ़ती हुई स्पर्धा की वजह से होंडा जापान और काइनेटिक की सांझेदारी समाप्त हो चुकी थी.

इसके पश्चात काइनेटिक ने दोपहिया वाहनों के हर तरह के सेग्मेंट जैसे कि मोपेड, स्कूटर और बाइक आदि में हर क्षमता, डिज़ाइन और मूल्य के वाहन बाज़ार में पेश करे मगर बढ़ती हुई स्पर्धा की वजह से काइनेटिक ग्रुप कुछ ख़ास बिलकुल ही नहीं कर पाया. और फिर आखिर में उन्हें अपना टू व्हीलर बिजनेस, प्लांट, ब्रांड, मार्केटिंग नेटवर्क सब कुछ महिंद्रा एंड महिंद्रा को 182 करोड़ रुपये में बेचना पड़ा.

उस फैसले के बाद सुलज्जा ने काइनेटिक को एक पूर्ण ऑटोमोटिव कंपोनेंट कंपनी बनाने पर जोर दिया. आज काइनेटिक के बनाए इंजन भारत में फोर्ड, टाटा मोटर्स, कारारो, विस्टोन के अलावा नीदरलैंड की टॉमोस, इटली की अगस्ता जैसी कंपनियां खरीद रही हैं.

आज, काइनेटिक ने गियर बॉक्स, फोर्क्स, एक्सल, शॉक स्टीयरिंग आर्म्स, वेरिएटर, ड्राइव, क्रैंक शाफ्ट, सिलेंडर हेड्स और आईसी इंजन आदि के निर्माण में भी दक्षता हासिल कर ली है. इनके अलावा, काइनेटिक अब कई कंपनियों के लिए पूर्ण वाहनों को असेंबल करता है. यह सब लज्जा फिरोदिया मोटवानी की प्रतिभा और जुनून की वजह से ही संभव हो पाया है.

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