एक समय पर गरीबी का मजाक उड़ाते थे रिश्तेदार, आज बुर्ज खलीफा में 22 फ्लैट के हैं मालिक; फर्श से अर्श का सफ़र

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जिंदगी कितनी अजीब है किस्मत कब बदल जाए कहना मुश्किल है. यदि आप जीवन में प्रयास करते रहें और आने वाले हर दरवाजे पर एक न एक दिन दस्तक देते रहें, तो भाग्य आपको अवश्य बुलाएगा आज हम जिस शख्स की कहानी बताने जा रहे हैं. जो केरल का एक साधारण मैकेनिक है !! लेकिन दोस्तों, अगर आप उसे एक साधारण मैकेनिक कहते हैं, अगर आप उसे परेशान कर रहे हैं, तो रुकिए! एक साधारण मैकेनिक क्या कर सकता है, इसका एक प्रतिष्ठित उदाहरण केरल के जॉर्ज वी. निरेपराम्बिल हैं.

जॉर्ज पंचम का नाम पढ़कर आपने सोचा होगा कि इंग्लैंड के एक राजा नाम तो नहीं है? नहीं दोस्तों, जॉर्ज का जन्म केरल में एक ईसाई परिवार में हुआ था. परिवार कृषि पर निर्भर था. कभी गरीबी के बाद जॉर्ज के पास अब दुनिया की सबसे ऊंची इमारत बुर्ज खलीफा में 22 फ्लैट हैं.

केरल में एक किसान परिवार में जन्मे जॉर्ज ने ग्यारह साल की उम्र में अपने पिता के साथ काम करना शुरू कर दिया था. जॉर्ज के गाँव में कई लोगों ने कपास का व्यापार किया, और बेकार पड़े कपास के बीज उड़ा दिए गए. जॉर्ज ने बीजों को साफ किया और उनसे गोंद बनाना शुरू किया, इस प्रकार अपना खुद का व्यवसाय शुरू किया. उन्होंने कुछ समय के लिए मैकेनिक के रूप में भी काम किया.

मैकेनिक का काम करते हुए वह शारजाह चले गए. साल 1976 था, जब उन्होंने अरब जगत में गर्म मौसम देखा, तो उन्होंने देखा कि एसी का अच्छा माहौल है. जॉर्ज तब JEO ग्रुप ऑफ कंपनीज के बैंडबाजे पर कूद पड़े. जॉर्ज कहते हैं, “मैं हमेशा एक सपने देखने वाला रहा हूं और मैं सपने देखना कभी नहीं छोड़ूंगा”

कई लोग अब पूछेंगे कि जॉर्ज इतने घर क्यों लेगा और वह भी एक जगह जब एक अच्छा घर काफी है। इसके पीछे भी एक कहानी है. जॉर्ज एक बार अपने रिश्तेदारों को बुर्ज खलीफा दिखाने गए लेकिन उन्हें कोई प्रवेश नहीं मिला. जॉर्ज के रिश्तेदारों ने उसका मजाक उड़ाया। जॉर्ज के मन में यह बात थी, उन्होंने खुद को अपमानित महसूस किया और उन्होंने 6 साल बाद उसी इमारत में 22 घर खरीदे. बुर्ज खलीफा में घरों की कीमत आप सोच भी नहीं सकते। उनके हर घर की दीवारों पर सोने का पानी चढ़ा हुआ है, चाहे वह फर्श हो या शौचालय.

आंख के बदले आंख सारी दुनिया को अंधी कर देगी लेकिन अपमान के बदले गर्दन पूरी दुनिया को भव्य बना देगी. जॉर्ज आज बहुत सफल है. शुरू में उन्होंने वहां एक घर किराए पर लिया और फिर कई फ्लैटों को एक पंक्ति में, आज वे अपने गांव कासरकोड में एक बांध बनाना चाहते हैं. उनका यह विचार कि हम जीवन में जहां हैं, उसके लिए कुछ देना है, यह भी बहुत शिक्षाप्रद है.

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