रॉयल एनफील्ड की बाइक्स को आज के समय में काफी पसंद करा जाता है. एक समय था जब बुलेट की पैरेंट कंपनी इसे बंद करना चाहती थी. लेकिन, इसे फिर से शान की सवारी बनाने के लिए एक आदमी ने पहल की और ऐसा करके दिखाया. आज रॉयल एनफील्ड की बाइक्स लोगों के दिलों पर राज कर रही हैं.
इंडियन बुलेट
पहले ब्रिटिश कंपनी रॉयल एनफील्ड ‘बुलेट’ को तैयार करती होती थी. वर्ष 1971 में ब्रिटिश कंपनी के बंद हो जाने के बाद भारतीय निर्माताओं ने ‘बुलेट’ के अधिकार खरीद लिए. लेकिन, 1970 से 1980 के बीच रॉयल एनफील्ड के मैनेजमेंट ने ऐसे कई फैसले लिए, जिससे कंपनी भारी बोझ तले दब गई. वहीं 1990 में सीडी 100 के आने से रॉयल एनफील्ड को भी झटका लगा. बुलेट लगभग बाजार से बाहर हो चुकी थी. 1994 में, आयशर ने बुलेट में विश्वास व्यक्त करते हुए कंपनी खरीद ली.
इस शख्स ने लिया चैलेंज
आयशर ग्रुप को साल 2000 में काफी घाटा हुआ. समूह के वरिष्ठ अधिकारियों की राय में रॉयल एनफील्ड को बेचने या बंद करने का यह सही निर्णय था. समूह के इस विभाग को 20 करोड़ का नुकसान हुआ था. विक्रम लाल के बेटे सिद्धार्थ लाल ने संभाग को लाभ में लाने के लिए 24 महीने का समय मांगा. सिद्धार्थ संभाग के मुखिया बने और सबसे पहले उन्होंने जयपुर में नया एनफील्ड प्लांट को पूरी तरह से बंद कर दिया. फिर डीलर छूट को भी समाप्त कर दिया, जिससे कंपनी पर हर महीने 80 लाख रुपये का बोझ आ रहा था.
दुबारा बनी रॉयल सवारी
सिद्धार्थ ने फैसला किया कि मौजूदा ब्रांड को मजबूत करने की कोशिश करना किसी अन्य बाजार या खंड में प्रवेश करने से बेहतर है. सिद्धार्थ ने 18-35 साल के युवाओं को टारगेट करते हुए साल 2001 में 350 सीसी की बुलेट इलेक्ट्रा लॉन्च की थी. इसे कई रंगों और इलेक्ट्रॉनिक इग्निशन के साथ लॉन्च करा गया था.
बन गई है सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली बाइक
सिद्धार्थ ने रिटेल आउटलेट और मार्केटिंग पर बहुत ही ज्यादा ध्यान दिया था. उन्होंने ऐसे आउटलेट शुरू करे जहां पर बाइक खरीदारों को बेहतर अनुभव दिया जा सके. रॉयल एनफील्ड बाइकर्स के लिए अलग-अलग राइड्स भी आयोजित करती है. कंपनी ने 2012 में 81,464 मोटरसाइकिलें बेचीं, जबकि 2013 के दौरान 1,23,018 यानी 51 प्रतिशत की वृद्धि हुई. रॉयल एनफील्ड ने 2018 में 354,740 यूनिट्स की बिक्री की है. यह पिछले साल की तुलना में काफी ज्यादा थी. और आज के समय में इन बाइक्स को सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है.