‘व्यवसायी सेवानिवृत्त नहीं होते, वे मर जाते हैं.’ यह बात कैफे कॉफी डे (सीसीडी) के मालिक वीजी सिद्धार्थ ने कही थी. यह वह समय था जब सीसीडी अपनी सफलता के चरम पर पहुंचकर नीचे की ओर गोता लगाने लगी थी. कौन जानता था कि सीसीडी नाम के एक मशहूर ब्रांड के मालिक वीजी सिद्धार्थ नदी में कूदकर जान दे देंगे. सिद्धार्थ की मौत के बाद सभी को लगा कि अब सीसीडी की कहानी खत्म हो गई है. मगर सिद्धार्थ की पत्नी मालविका ने हार नहीं मानी और नए सिरे से सीसीडी शुरू कर दी.
कहानी की शुरुआत
सिद्धार्थ मंगलुरु विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में परास्नातक पूरा करने के बाद व्यवसाय करना चाहते थे. मगर सिद्धार्थ के पिता चाहते थे कि वह कोई नौकरी करे. काफी जिद करने पर सिद्धार्थ के पिता ने कारोबार करने के लिए 5-7 लाख रुपये भी दिए. इस पैसे से सिद्धार्थ ने एक प्लॉट खरीदा.
फिर सिद्धार्थ ने बैंगलोर में ‘सिवन सिक्योरिटीज प्राइवेट लिमिटेड’ नाम की कंपनी चलाना शुरू कर दिया. सिद्धार्थ ने इस कंपनी के मुनाफे से कई कॉफी बागान खरीदे. साल 1992 तक सिद्धार्थ ने तीन हजार एकड़ में फैले कॉफी के बागान खरीद लिए थे.
1992 में लॉन्च हुई ‘कॉफी डे ग्लोबल लिमिटेड’ कंपनी
साल 1992 में हर्षद मेहता स्टॉक घोटाला सामने आने से कुछ दिन पहले वीजी सिद्धार्थ ने स्टॉक से अपना सारा पैसा वापस ले लिया था. घोटाला सामने आने के बाद बड़े-बड़े कारोबारी पिट चुके थे. स्टॉक से कमाए गए पैसों से सिद्धार्थ ने कॉफी का ही बिजनेस करने का फैसला कर लिया. इसके बाद ‘कॉफी डे ग्लोबल लिमिटेड’ नाम की कंपनी शुरू करी.
सीसीडी की शुरुआत 1996 में 1.5 करोड़ के निवेश से हुई
पहला सीसीडी केंद्र 11 जुलाई 1996 को ब्रिगेड रोड, बैंगलोर में खोला गया था. इस बिजनेस को शुरू करने के लिए सिद्धार्थ ने शुरुआती निवेश के तौर पर 1.5 करोड़ रुपये जुटाए थे. एक कप कॉफी 25 रुपये में शुरू में सीसीडी में मिलती थी.
पति के निधन के बाद पत्नी ने संभाली कमान
पति वीजी सिद्धार्थ की मृत्यु के बाद उनकी पत्नी मालविका हेगड़े को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा. मालविका हेगड़े को अपना और कंपनी दोनों का ख्याल रखना था. सिद्धार्थ की मृत्यु के एक साल बाद 31 दिसंबर 2020 को कंपनी के सीईओ का पद मालविका हेगड़े के हाथों में आ गया.
वह सीसीडी की खोई हुई स्थिति को वापस लाने के लिए दृढ़ थे. साल 2019 में कंपनी पर 6500 करोड़ रुपये का कर्ज था. इसमें सिद्धार्थ ने कुछ कर्ज खत्म किए थे. अब बचा हुआ कर्ज चुकाने और कंपनी को आगे ले जाने की जिम्मेदारी मालविका हेगड़े के कंधों पर आ चुकी थी.
फिर से कंपनी ने करी वापसी
मालविका हेगड़े की कड़ी मेहनत और लगन से कंपनी का लगभग काफी कर्ज उतर चूका है. इसके साथ ही हाल ही में कंपनी के शेयर में भी 50 फीसदी की तेजी दर्ज की गई है.