देश में राजनीति कहा तो विरोध आता ही हे. लेकिन कुछ नेता ऐसे भी हैं जो अतिवाद के विरोधी भी नहीं हैं. पार्टी के सभी कार्यकर्ता चाहे उनकी अपनी पार्टी में हों या विपक्ष में, उनके काम की सराहना कर रहे हैं. उनका विरोध नगण्य है. यहां तक कि ये नेता भी कभी विवादों में नहीं पड़ते और न ही किसी की आलोचना करते हैं. ऐसे महान नेता ने देश का भला किया. वो हैं नितिन जयराम गडकरी. उनका सफर नागपुर के एक साधारण घर से शुरू हुआ और आज देश के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार तक पहुंच गए है.
नितिन गडकरीजी का जन्म 27 मई 1957 को नागपुर के महल इलाके के परिसर में हुआ था. नितिन गडकरीजी का आज भी इस महल से भावनात्मक जुड़ाव है. नागपुर के महल में 2 भाग हैं. हाल ही में पुल पर और पुल के बाहर. पुल के उस पार सरकारी दफ्तर, पढ़े-लिखे लोग आदि रहते हैं. कॉमन्स का यह हिस्सा हाल ही में. एक तरह से पुराना नागपुर. नागपुर के राजा भोसले के महल के बगल में नितिन गडकरीजी के दादा का गडकरी का महल. नितिनजी आज भी भीड़-भाड़ वाले और अतिक्रमित महल क्षेत्र में रहना पसंद करते हैं. मिट्टी के महल को अब ध्वस्त कर दिया गया है.
वह अपने माँ के काफी लाडले थे. उन्हें अपने पिता के साथ काम मिलना जुलना रहता था. नितिनजी की 2 बड़ी बहनें हैं. बहनें इतनी बड़ी थीं कि उन्हें डराया जाता था. बहनें 12 और 14 साल बड़ी थीं. वह उनके साथ बच्चों जैसा व्यवहार करते थे. नितिनजी की मां एक सामाजिक कार्यकर्ता थीं. तो उनके गुण उनमें आ गए. हालांकि गडकरी एक बड़ा नाम हैं, लेकिन जन्म के समय उनकी हालत थोड़ी खराब थी. मां के दिए हुए संस्कार आज उनकी पूंजी हैं.
अपनी मां के संस्कारों की वजह से ही नितिन गडकरी आज केंद्रीय मंत्री हैं. फिर भी वह अपनी सुरक्षा दल से लेकर पीएस को अपने साथ लेकर एक टेबल खाना खाते है . वे अपने कर्मचारियों को परिवार की तरह मानते हैं. नितिन गडकरी जब 6-7 साल के थे तब उनकी मां ने मैट्रिक की परीक्षा दी थी.
नितिन गडकरीजी बचपन से ही संघ से जुड़े रहे हैं. लेकिन उस समय लोग संघ से नफरत करते थे. अक्सर अपमान सहते रहे. लेकिन फिर नितिन का काम बढ़ता गया. उनके नेतृत्व में भाजपा में शामिल हो गए. उन्होंने शुरू में उन राजाओं को उखाड़ फेंका जो नगरसेवक थे. भाजपा के अलावा मुस्लिम बहुल इलाकों में जहां उनका विरोध है. फिर भी वहां कोई और नहीं चुना गया है. आज भी बीजेपी के कृष्णा हेगडे विधायक हैं.
नितिन गडकरी ने लॉ की पढ़ाई की है. उस समय उन्होंने एक छात्र नेता के रूप में राजनीति शुरू हुई थी. उस समय वह एक होटल में ठहरे थे. सभी दोस्त वहां इकट्ठा होते थे. गडकरी सहित पचपन दोस्त वहां जमा होते थे. लेकिन इस सब के चलते होटल डूब गया. लड़के आधा कप चाय पीकर वहीं बैठ जाते थे. तो कोई और नहीं आएगा. उन्होंने होटल व्यवसायी से फर्नीचर उधार लिया और उसे फेंक दिया.
नितिन की बहनों ने सोचा कि उसे नौकरी मिलनी चाहिए. मां को लगता था नौकरी नहीं तो कम से कम वकील वकील की पाटी तो लगाओ. उस समय उनके ब्राह्मण समुदाय में उद्योग को अधिक महत्व नहीं दिया जाता था. नितिनजी की मां और बहन ने उनसे शादी करने का आग्रह किया था. लेकिन मां की तबीयत ठीक नहीं थी. बाद में उन्होंने कंचन से शादी कर ली. कंचन के पिता एमबीबीएस डॉक्टर थे. वह नितिन गडकरीजी की पत्नी हैं और उन्होंने कभी राजनीति में प्रवेश नहीं किया और न ही उन्होंने या उनके बच्चों ने गडकरीजी के वजन का इस्तेमाल किया है.
नितिन गडकरीजी एक अच्छे उद्यमी भी हैं. आज उनकी 3 चीनी फैक्ट्रियां हैं. 4 बिजली परियोजनाएं हैं. 3 डिस्टिलरी हैं और चौथे पर काम चल रहा है. नितिनजी के बच्चे सबका ख्याल रखते हैं. उन पर 8-900 करोड़ रुपये का कर्ज भी है लेकिन वे सभी उद्योग बहुत अच्छे से चलाते हैं. विदेशों में भी काम आज भी जारी है. दुबई में एक ऑफिस है. रूस में फैक्ट्री का काम चल रहा है. बच्चों ने आज बहुत अच्छा कारोबार खड़ा किया है
एलएलबी एमकॉम बने नितिनजी ने नागपुर की गलियों से अपना सफर शुरू किया और केंद्रीय सड़क एवं परिवहन राज्य मंत्री के पद तक पहुंचे, प्रदेश अध्यक्ष, राष्ट्रीय अध्यक्ष, विधान परिषद सदस्य, लोक राज्य मंत्री बने काम करते है और विपक्ष के नेता. इतने लंबे राजनीतिक करियर में नितिन गडकरी हमेशा विवादों से दूर रहे हैं.