कभी जूते की दुकान पर करते थे नौकरी, शुरू किया बिजनेस; आज है 300 करोड़ की कंपनी का मालिक

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जेब में ज्यादा पैसे नही थे, मगर इरादा मजबूत था. इसी मजबूत इरादे के साथ ही सत्य प्रसाद रॉय बर्मन नाम के इस शख्स ने सिर्फ 18 साल की उम्र में ही छोटे से जूतों के स्टोर से कारोबार को शुरू करा था और आज इनका यह कारोबार करोड़ों रुपए पर पहुंच चूका है.

जूते बनाने वाली कंपनी खादिम इंडिया आज बाटा जैसी कंपनी को भी कड़ी टक्कर दे रही है. आज के समय में खादिम इंडिया की मार्केट वैल्यू करीब 1300 करोड़ से भी ज्यादा की है. आइए जानते हैं किस तरह से खादिम इंडिया ने बन गई करोड़ों की कंपनी.

जूतों की दुकान पर करते थे काम

सत्य प्रसाद रॉय बर्मन कोलकाता के रहने वाले थे. एक दिन सत्य प्रसाद रॉय बर्मन झगड़ा कर के अपने घर को छोड़ कर मुंबई में आ गए थे. कुछ दिनों तक मुंबई में सत्य प्रसाद रॉय बर्मन ने जूतों की दुकान पर नौकरी करी. फिर वर्ष 1965 में सत्य प्रसाद रॉय बर्मन घर में वापस जाने का फैसला करा और फिर घर वापिस आकर चितपुर में केएम खादिम की एक छोटी सी दुकान खरीद ली. और फिर यहीं से रखी गई थी इनके इस बिजनेस एंपायर की नींव.

इस आइडिया ने कर दिया मालामाल

जूते को बेचते हुए सत्य प्रसाद रॉय बर्मन ने सोचा कि सस्ते और अच्छे जूते तैयार करे जाए तो फिर पुरे मार्केट में बहुत ही अच्छा रिस्पॉन्स मिलेगा. सत्य प्रसाद रॉय बर्मन का यह आइडिया सफल रहा और सत्य प्रसाद रॉय बर्मन पश्चिम बंगाल में ही नहीं, बल्कि भारत के पूर्वी हिस्से के सबसे ज्यादा बड़े होलसेल बिजनेसमैन बन गए.

वर्ष 1980 तक सिद्धार्थ रॉय बर्मन की यह कंपनी और भी तेजी से आगे बढ़ने लगी. उन्हीं दिनों सत्य प्रसाद रॉय बर्मन के बड़े बेटे सिद्धार्थ रॉय बर्मन ने अपने पिता की इस कंपनी को ज्वॉइन कर ली. फिर इसके बाद इस कंपनी की ग्रोथ और भी ज्यादा तेजी से होने लगी.

बन चुकी है करोड़ों की कंपनी

यह कंपनी अपने सब-ब्रांड्स को पूरी तरह से प्रीमियम ब्रांड बना लेने के लिए काम कर रही है. इसके पीछे फुटवियर कंपनी खादिम इंडिया लिमिटेड का मकसद अपने पैरेंट ब्रांड के ग्रोथ, रेवेन्यू, और मार्जिन को और तेजी से बढ़ाना है. ब्रिटिश वॉकर्स, शैरॉन, लेजार्ड, क्लियो, और सॉफ्टटच समेत खादिम के नौ सब-ब्रांड्स हैं.

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