आज की कहानी एक ऐसे शख्स की है जिसने दुनिया के खुदरा कारोबार में क्रांति ला दी है और दुनिया के सबसे अमीर लोगों की सूची में शामिल है. कॉलेज को बीच में ही छोड़कर उस आदमी ने अपना पेट भरने के लिए होटल के कमरों की सफाई करने के बजाय टैक्सी चलाने का धंधा शुरू कर दिया.
अपनी कड़ी मेहनत और समर्पण की बदौलत इस शख्स ने शुरुआत से ही शुरुआत की और खाड़ी देशों में एक छोटे से रिटेल आउटलेट की नींव रखी. आज वही आउटलेट 45,000 करोड़ रुपये के कारोबार के साथ दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक बन रहा है. रिटेल बिजनेस का बादशाह कहे जाने वाले इस भारतीय बिजनेसमैन की कहानी बेहद प्रेरणादायक है.
हम बात कर रहे हैं दुबई स्थित लैंडमार्क ग्रुप के फाउंडर मुकेश मिकी जगतियानी की सफलता की. कुवैत में जन्मे मुकेश ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मुंबई और लेबनान में प्राप्त की. मुकेश का जन्म भारत में एक छोटे व्यवसायी के घर हुआ था, इसलिए उन्हें शुरू से ही व्यापार करना पसंद था. लेकिन पारिवारिक दबाव के चलते उन्होंने अपनी उच्च शिक्षा पूरी करने के बाद लंदन के एक अकाउंटिंग स्कूल में दाखिला लिया.
पढ़ाई में रुचि न होने के कारण उन्होंने एक साल बाद कॉलेज छोड़ दिया और अपना खुद का व्यवसाय शुरू करने की कोशिश करने लगे. लेकिन इस दौरान मुकेश के लिए सबसे बड़ी चुनौती पेट भरना था. काम खोजने के लिए संघर्ष करने के बाद, वह आखिरकार होटल के कमरों की सफाई के व्यवसाय में लग गया. कुछ दिन एक होटल में काम करने के बाद लंदन की सड़कों पर टैक्सी चलाने लगे.
करीब एक साल तक ऐसा करने के बाद उन्होंने घर लौटने का फैसला किया. घर लौटने के एक साल के भीतर, उनके माता-पिता की बीमारी से मृत्यु हो गई. अपने माता-पिता को खोने के बाद, मुकेश ने अपना छोटा पारिवारिक व्यवसाय शुरू करने की योजना बनाई. 1973 में, उन्होंने बहरीन में अपने पिता की 6000 जमा राशि के साथ एक खुदरा व्यवसाय शुरू किया.
बच्चों के कपड़े, खिलौने आदि बेचने का धंधा था. शुरुआत में मुकेश सारा काम खुद करते थे. धीरे-धीरे उनकी दुकानें बिकने लगीं. शुरुआती सफलता से उत्साहित मुकेश ने अपने कारोबार का विस्तार करने की योजना बनाई है. इसी क्षेत्र में उन्होंने लैंडमार्क ग्रुप की स्थापना कर अपने रिटेल कारोबार का विस्तार करना शुरू किया.
मुकेश ने उस क्षेत्र में कारोबार बढ़ाने पर जोर दिया, जिसमें ज्यादा से ज्यादा लोग उसके ग्राहक बन सकें. इस बीच, 1992 में खाड़ी देशों में युद्ध के कारण, उन्होंने अपना व्यवसाय दुबई में स्थानांतरित कर दिया. दुबई में प्रवास करने के बाद, उसने अपने साम्राज्य का विस्तार दक्षिण एशिया और अरब दुनिया में किया, खुदरा, फैशन, इलेक्ट्रॉनिक्स, फर्नीचर और होटलों सहित सभी क्षेत्रों में प्रवेश किया.
आज लैंडमार्क ग्रुप के बैनर तले भारत समेत 15 देशों में 900 से ज्यादा रिटेल आउटलेट हैं. इतना ही नहीं इस ग्रुप में 24 हजार से ज्यादा लोग काम कर रहे हैं. आज मुकेश की कुल संपत्ति करीब 6.6 अरब डॉलर (44,240 करोड़ रुपये) है. और वह भारत के दसवें सबसे अमीर व्यक्ति और दुनिया के 271वें सबसे अमीर व्यक्ति हैं.
मुकेश के पास आज इतना बड़ा साम्राज्य है लेकिन वह आज तक अपने अतीत को नहीं भूला है. वह गरीबों और जरूरतमंदों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहते हैं. इसी क्षेत्र में उन्होंने 2000 में LIFE (लैंडमार्क इंटरनेशनल फाउंडेशन ऑफ एम्पावरमेंट) की स्थापना की. ट्रस्ट भारत में एक लाख से अधिक बच्चों की शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण और चिकित्सा सुविधाओं के लिए जिम्मेदार है.