कभी दुबला-पतला होने की वजह से लोग उनका मजाक उड़ाते थे, आज है 37 करोड़ रुपये के मालिक

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आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि कैसे अक्षर पटेल ने विपरीत परिस्थितियों को पार किया और टेस्ट क्रिकेटर बने. अक्षर पटेल स्कूल में नौवीं कक्षा तक पढ़ाई में मेधावी थे. वह अपनी क्लास में टॉपर हुआ करते थे और क्रिकेटर बनने के बारे में कभी नहीं सोचते थे. हालाँकि, अक्षर पटेल बहुत दुबले-पतले थे और यही उनके पिता की चिंता थी.

जिम में हुए शर्मसार
पिता राजेश पटेल चिंतित थे क्योंकि उनका बेटा पतला था. उसके बाद, पिता ने अक्षर की हालत में सुधार करने के लिए उसे जिम भेजने का फैसला किया. अक्षर पटेल को जिम जाना बिल्कुल भी पसंद नहीं था. उसने कुछ ही दिनों में जिम छोड़ दिया. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि अक्षर पटेल निराश हो जाते थे क्योंकि उनके पास डंबल उठाने की ताकत नहीं थी. इस पर अक्षर पटेल हंस पड़ते थे.

जिम छोड़ने के बाद अक्षर पटेल ने अपनी फिटनेस में सुधार के लिए क्रिकेट खेलना शुरू किया, जो उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ भी साबित हुआ. अक्षर पटेल अच्छा क्रिकेट खेलते थे और यह बात उनके पिता राजेश को अच्छी लगती थी. इसके बाद पिता ने कोच से अक्षर को अच्छी ट्रेनिंग देने की गुजारिश की.

मजबूरी में की गेंदबाजी
अक्षर पटेल ने अपनी बहुमुखी शैली से कई लोगों को आकर्षित किया. अक्षर पटेल को गुजरात रणजी टीम में मौका तब मिला जब वह सिर्फ 18 साल और एक महीने के थे. जब अक्षर पटेल अंडर-19 के लिए एनसीए पहुंचे तो कोच ने उनसे कहा कि बहुत सारे बल्लेबाज और बहुत कम गेंदबाज हैं.

अक्षर ने तुरंत कोच को जवाब दिया कि वह पार्ट-टाइम गेंदबाजी करते हुए एक बल्लेबाज के रूप में खेलना चाहते हैं. लेकिन कोच ने अक्षर पटेल को गेंदबाजी पर ध्यान देने के लिए कहा. अक्षर पटेल को जबरदस्ती गेंदबाजी करनी पड़ी. हालांकि बाद में उसे मजा आने लगा. अब उन्हें एक सफल ऑलराउंडर के रूप में जाना जाता है. अक्षर पटेल ने आईपीएल के दौरान कहा था कि उन्होंने अपने गेंदबाजी मिश्रण को कम किया है, जिससे उन्हें काफी फायदा हुआ है.

गलत स्‍पेलिंग बनी नाम की पहचान
अक्षर पटेल अपना नाम अंग्रेजी में अलग तरीके से लिखते हैं. उस पत्र के स्थान पर वह AXAR लिखता है. इसके पीछे भी एक दिलचस्प कहानी है. दरअसल, स्कूल के प्रिंसिपल की एक गलती ने अक्षरा के नाम की स्पेलिंग बदल दी, जो अब उनकी स्थायी पहचान बन गई है.

अक्षर पटेल को भारतीय अंडर-19 टीम में चुना गया था, जिसे विश्व कप में खेलना था. उस समय अक्षर पटेल के पास पासपोर्ट नहीं था. पिता राजेश अपना सर्टिफिकेट लेने स्कूल गया और गलत नाम लेकर लौटा. पासपोर्ट विभाग ने स्कूल के दस्तावेज पर लिखे नाम को वैध माना और यहीं से अक्षर पटेल का नाम हमेशा के लिए AXAR हो गया. फैंस को उम्मीद होगी कि अक्षर पटेल टेस्ट डेब्यू करेंगे और रविंद्र जडेजा की जगह अच्छी तरह से भरेंगे.

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