भारत के युवा सीईओ में से एक, एडलवाइस एमएफ की सीईओ राधिका गुप्ता की सफलता की कहानी बहुत दिलचस्प है. अपनी टेढ़ी गर्दन और बोलने के भारतीय लहजे के कारण राधिका हमेशा स्कूल में हंसी का पात्र बन जाती थीं.
कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद लगातार नौकरी पाने में असफल रहने के बाद, राधिका ने आत्महत्या करने की भी कोशिश की, लेकिन गनीमत रही कि उनके दोस्त मौके पर पहुंच गए और उन्हें बचा लिया. फिर नौकरी मिलने के बाद राधिका ने पीछे मुड़कर कभी भी नहीं देखा और 33 साल की उम्र में वह सीईओ बन चुकी है.
मां से करी जाती थी तुलना
राधिका ने कहा, “मेरी तुलना हमेशा मेरी मां से करी जाती थी. जो मेरे ही स्कूल में पढ़ाती होती थी. मेरी माँ बहुत ही तेजस्वी महिला हैं. लोग हमेशा मेरी तुलना मेरी मां से करते थे और कहते थे कि तुम उनकी तुलना में बहुत बदसूरत दिखती हो. इससे मेरा आत्मविश्वास टूट जाता था.”
7वें इंटरव्यू में फेल हुई तो आत्महत्या का किया प्रयास
22 साल की उम्र में राधिका को कॉलेज के बाद नौकरी नहीं मिली. 7वें जॉब इंटरव्यू में फेल हो जाने के बाद राधिका ने आत्महत्या करने की सोची. राधिका ने बताया, “मैं खिड़की से देख रही थी और मैं कूदने ही ही वाली थी कि मेरे दोस्तों ने मुझे कूदने से बचा लिया. वे मुझे मनोचिकित्सक के पास लेकर गए.”
राधिका का कहना है कि मनोरोग वार्ड में उनका डिप्रेशन का इलाज कराया गया था. उन्हें इस वार्ड से तभी छुट्टी मिली थी जब राधिका ने डॉक्टरों से कहा कि उन्हें नौकरी के लिए इंटरव्यू के लिए जाना है. राधिका एक साक्षात्कार के लिए मनोरोग वार्ड में गई थी. वह इस साक्षात्कार में सफल रही और उन्हें मैकेंजी कंपनी में नौकरी मिल गई.
कुछ नया करने के लिए वापिस आई भारत
राधिका का कहना है कि इससे मेरी पूरी जिंदगी फिर से पटरी पर आ गई. मगर करीब तीन साल के बाद उन्होंने कुछ बदलाव करने का सोचा और वह 25 साल की उम्र में भारत फिर वापिस आ गई. फिर उन्होंने अपने पति और दोस्त के साथ मिलकर अपनी संपत्ति प्रबंधन फर्म शुरू करी. कुछ साल बाद एडलवाइस एमएफ ने उनकी कंपनी का अधिग्रहण कर लिया.
राधिका ने यह भी बताया, मैं काफी सफल होने लगी थी. अभी मैं अवसरों की ओर हाथ बढ़ाना चाहती थी. इस वजह से जब एडलवाइस ने सीईओ की तलाश शुरू करी, तो फिर मैंने भी हिचकिचाते हुए अपने पति की प्रेरणा से इस पद के लिए आवेदन किया. फिर कुछ ही महीनों के बाद, एडलवाइस ने राधिको को अपना सीईओ बना दिया.