आज के समय में हर कोई अपनी काबिलियत और मेहनत के दम पर वो बन सकता है जो वो बनना चाहता है. आज हम बात करने जा रहे हैं आनंद कुमार की जो सुपर 30 के संस्थापक हैं और हजारों-लाखों छात्रों के प्रेरणा स्रोत हैं. मगर आनंद कुमार के लिए ये सब करना इतना आसान नहीं था. आइए जानते हैं उनके संघर्ष और सफलता की कहानी.
गणित में करना चाहते थे कुछ
1 जनवरी 1973 को बिहार के पटना शहर में आनंद कुमार का जन्म हुआ था. आनंद कुमार एक निम्न मध्यम वर्गीय परिवार से ताल्लुक रखते हैं. उनके पिता डाकघर में क्लर्क के रूप में काम करते थे. आनंद को बचपन से ही पढ़ाई का शौक था, लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि उनके पिता उनके निजी स्कूल का खर्च उठा सकें. इस कारण उनका दाखिला पटना के ही एक सरकारी स्कूल में कराया गया. आनंद कुमार बचपन से ही गणित में बहुत तेज थे.
People often ask me as to when exactly did I get down to teaching students from underprivileged sections of the society. It is not a story of any one day. Today felt like posting an old photograph. You can well imagine that success requires both time and utmost devotion. pic.twitter.com/KQsOjUHN3w
— Anand Kumar (@teacheranand) November 30, 2017
वह रोज घंटों गणित पढ़ते होते थे और छोटे भाइयों और छोटे बच्चों को भी पढ़ाते थे. अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद, आनंद कुमार ने “बिहार नेशनल कॉलेज” में प्रवेश लिया. इस कॉलेज में स्नातक के दौरान आनंद कुमार ने नंबर थ्योरी “हैप्पी नंबर्स” पर पेपर जमा किया था. यह पत्र गणितीय स्पेक्ट्रम और गणितीय राजपत्र में भी प्रकाशित हुआ था.
कभी बेचने जाया करते थे पापड़
आनंद कुमार के पिता की कॉलेज की पढ़ाई के दौरान ही मौत हो गई थी. जिससे पूरे परिवार की जिम्मेदारी आनंद पर आ गई थी. परिवार का पालन-पोषण करने के लिए आनंद कुमार सुबह-सुबह कॉलेज जाकर गणित की क्लास लेते थे और उसके बाद शाम को वह अपनी मां और भाई के साथ पापड़ बेचने जाया करते थे. इसके साथ ही आनंद कुमार बच्चों को पढ़ाते भी थे.
आनंद कुमार बच्चों के लिए कुछ करना चाहते थे, इस वजह से उन्होंने उन्हें पढ़ाना शुरू किया. इस उद्देश्य के लिए उन्होंने रामानुजन स्कूल ऑफ मैथमेटिक्स की स्थापना की. उन्होंने इस कोचिंग की शुरुआत सिर्फ 2 छात्रों से की थी. मगर कुछ के बाद 2 साल में छात्रों की संख्या बढ़कर 36 हुई और तीसरे वर्ष में यह संख्या 500 को पार कर गई. आनंद कुमार के जीवन में मोड़ तब आया जब उन्होंने देखा कि एक गरीब छात्र को पैसे की कमी के कारण उनके कोचिंग सेंटर में प्रवेश नहीं दिया गया. वह बच्चा आईआईटी करना चाहता था. आनंद कुमार ने इस बच्चे की पूरी शिक्षा और रहने का खर्चा उठाया.
सुपर 30 की रखी नींव
इस छात्र ने पहली बार में ही आईआईटी की परीक्षा पास कर ली थी. तब आनंद कुमार को लगा कि ऐसे कई बच्चे हैं जिनमें क्षमता तो है लेकिन पैसे के अभाव में आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं. इसी से प्रेरित होकर आनंद कुमार ने साल 2002 में सुपर 30 की नींव रखी थी. इस सुपर 30 में केवल उन्हीं छात्रों का चयन किया जाता है जो आर्थिक रूप से कमजोर होते हैं और जिनमें आगे बढ़ने का जुनून होता है.
सुपर 30 में 30 ऐसे छात्रों को पढ़ाया जाता है जो महंगी कोचिंग का खर्च वहन नहीं कर सकते. इसकी संख्या 30 रखी गई है क्योंकि आनंद कुमार खुद इन छात्रों के रहने का खर्च वहन करते हैं. साथ ही उनकी स्टडी मटेरियल की भी व्यवस्था करते हैं. इन 30 छात्रों के चयन के लिए हर साल मई के महीने में एक प्रवेश परीक्षा आयोजित की जाती है, जिसके आधार पर इन छात्रों का चयन किया जाता है.
Honourable Yogi Adityanath ji @CMOfficeUP many thanks from the core of my heart. I will always remember and so will the young generation the way you honoured us and made ‘Super 30’ film tax free in UP.@iHrithik @RelianceEnt @NGEMovies @Shibasishsarkar #super30 pic.twitter.com/KuDLIwR7bM
— Anand Kumar (@teacheranand) July 20, 2019
आनंद कुमार के सुपर 30 से शिक्षित होने वाले लगभग हर छात्र को आईआईटी में प्रवेश मिलता है. कई बार ऐसा हुआ है कि सभी 30 छात्रों का आईआईटी संस्थानों में चयन हो जाता है. अब तक आनंद कुमार से शिक्षा प्राप्त 450 से अधिक छात्रों का चयन आईआईटी के लिए किया जा चुका है.
कई पुरस्कारों से करा जा चूका है सम्मानित
आनंद कुमार के इस सराहनीय कार्य को देखते हुए उन्हें बहुत से पुरस्कारों से नवाजा भी जा चुका है. आनंद कुमार को “राष्ट्रीय बाल कल्याण पुरस्कार” और “लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स” में शामिल किया गया है, जो अध्ययन के क्षेत्र में सबसे बड़ा पुरस्कार है. साल 2009 में, सुपर 30 को “टाइम” पत्रिका द्वारा एशिया के सर्वश्रेष्ठ संस्थान 2010 में शामिल किया गया था. वर्ष 2010 में आनंद कुमार को बिहार के सर्वोच्च सम्मान “मौलाना अबुल कलाम आजाद शिक्षा पुरस्कार” और प्रोफेसर यशवंत केलकर युवा पुरस्कार से सम्मानित करा गया.