कभी बर्तन धोकर 150 रुपये महीना करते थे कमाई, आज सालाना करते है 30 करोड़ रुपये का बिजनेस

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जिंदगी की मुश्किलें कुछ लोगों को हार मानने के लिए मजबूर कर देती हैं तो कई इन मुश्किलों से जितकर सोने की तरह निखार आते हैं. प्रेम गणपति का नाम उन लोगों में ही शामिल है, जिन्होंने मुश्किलों से पार पाकर सफलता हासिल करी है. प्रेम गणपति मशहूर डोसा चेन ‘डोसा प्लाजा’ के मालिक हैं और आज उनकी डोसा चेन देश-विदेश में बहुत पसंद करी जाती है. कभी बर्तन धोकर महीने में 150 रुपये कमाने वाले प्रेम गणपति के डोसा प्लाजा की कमाई आज करोड़ों तक पहुंच चुकी है.

​बचपन में देखी गरीबी
तमिलनाडु के तूतीकोरिन जिले के नागलपुरम में एक गरीब परिवार में प्रेम गणपति का जन्म हुआ था. गरीबी के कारण वह दसवीं तक ही पढ़ सके. माता-पिता के अलावा प्रेम सहित 7 भाई-बहन है. अपने परिवार की मदद चलाने में मदद करने के लिए, प्रेम ने छोटी उम्र से ही चेन्नई में छोटी-छोटी नौकरियां करना शुरू कर दिया था जिससे उन्हें एक महीने में करीब 250 रुपये मिलते होते थे. यह पैसा वह अपने घर भेज देते थे.

​जब मुंबई आकर लुटा गया
एक दिन एक परिचित ने उन्हें 1,200 रुपये प्रति माह के वेतन का वादा करके मुंबई में नौकरी की पेशकश करी प्रेम गणपति यह अच्छे से जानते थे कि उनके माता-पिता उन्हें मुंबई नहीं जाने देंगे, इस वजह से वह उन्हें बिना बताए मुंबई चले गए. उस समय प्रेम की उम्र महज 17 साल थी. लेकिन उसके परिचित ने प्रेम के 200 रुपये भी लूट लिए. जिससे वह बांद्रा में ही फंस गए. फिर उस वक्त उनके पास लौटने के लिए भी पैसे नहीं बच्चे थे इस वजह से उन्होंने मुंबई में रहकर अपनी किस्मत आजमाने का निर्णेय करा.

​अगले ही दिन मिली बर्तन धोने की नौकरी
फिर अगले ही दिन उन्हें माहिम में एक स्थानीय बेकरी में बर्तन धोने की नौकरी मिल गई, जिसकी सैलरी १५० रुपये प्रतिमाह थी और वह उसी बेकरी में सो भी सकते थे. अगले दो वर्षों तक, प्रेम ने विभिन्न रेस्तरां में अजीबोगरीब काम करे. तमिलनाडु से होने की वजह से उन्हें डोसा बनाने का काफी शौक था और यह शौक बाद में उनके काम आया.

साल ​1992 में शुरू करा खुद का बिजनेस
साल 1992 तक, प्रेम गणपति ने अपना खुद का फूड व्यवसाय शुरू करने के लिए पर्याप्त बचत कर ली थी. फिर उन्होंने इडली और डोसा बेचने का कारोबार शुरू कर दिया. प्रेम ने करीब 150 रुपये में एक ठेला किराए पर ले लिया और करीब 1000 रुपये में बर्तन, एक स्टोव और बुनियादी सामग्री खरीद ली. फिर उसके बाद वाशी ट्रेन स्टेशन के सामने सड़क पर दुकान लगा दी. साल 1992 में प्रेम गणपति ने अपने दो भाइयों परमशिवन और मुरुगन को भी इस धंधे में शामिल कर लिया.

वहां की साफ-सफाई देख लोग वहां आने लगे और इडली-डोसा का स्वाद चखने लगे. प्रेम गणपति के डोसा और सांभर की रेसिपी ने ग्राहकों को खूब आकर्षित किया. जल्द ही, व्यापार तेजी से आगे बढ़ने लगा.

साल 1997 में खोला खुद का रेस्टोरेंट
साल 1997 में प्रेम गणपति और उनके भाइयों ने 50,000 रुपये जमा करके वाशी क्षेत्र में ही एक छोटी सी जगह लीज पर ली थी और इसका नाम प्रेम सागर डोसा प्लाजा रख दिया. फिर उन्होंने प्रेम सागर डोसा प्लाजा की वेबसाइट भी बनाई. प्रेम गणपति ने मेन्यू में 10-15 तरह के डोसे को शामिल करे. धीरे-धीरे उनकी मेहनत रंग लाने लगी और साल 2002 तक उनका कारोबार 10 लाख रुपये प्रति माह तक पहुंच गया. तब तक उन्होंने 15 लोगों के स्टाफ के साथ दो आउटलेट भी खोल लिए थे.

​ऐसे रखा था इंटरनेशनल मार्केट में पहला कदम
वर्ष 2005 में, डोसा प्लाजा ने भारत में 7 अलग-अलग स्थानों में आउटलेट खोले. साल 2007 में, भारत के 9 शहरों में इसके आउटलेट खुल गए थे. और अभी प्रेम गणपति अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रवेश कर रहे थे. देश भर में 23 डोसा प्लाजा आउटलेट खुल गए थे. साल 2008 में डोसा प्लाजा ने एशिया के सबसे बड़े मॉल में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई. उसी वर्ष, डोसा प्लाजा ने न्यूजीलैंड में एक आउटलेट खोलकर अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी प्रवेश किया. दूसरा आउटलेट न्यूजीलैंड में साल 2009 में और तीसरा 2010 में खोला गया. वर्ष 2011 में, प्रेम गणपति ने दुबई में अपना पहला मध्य पूर्व आउटलेट खोला. वर्ष 2012 तक, डोसा प्लाजा मध्य पूर्व में 4 आउटलेट थे, जबकि भारत में यह संख्या 45 हो गई थी.

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