कभी मेडिकल की दुकान में करते थे काम, शुरू किया हटके बिजनेस; आज है 27 हजार करोड़ रुपये के मालिक

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कभी-कभी यह विश्वास करना भी बहुत मुश्किल हो जाता है कि जितना हम सोचते है. क्या वास्तव मे इतना कुछ पा सकते है ? क्या यह सच मे संभव होता है ? क्या कभी किसी के साथ ऐसा हुआ है कि कोई जमीन से आसमान तक का सफर तय किया हो.

जी हा दुनिया मे बहुत सारे ऐसे लोग है, जिनके पास अपने शुरुआती जीवन मे खाने पीने और रहने के लिए घर नही थे. लेकिन उनकी दूर दृष्टि और सपने देखने की आदत, मेहनत करने के जुनून ने बहुत सारे लोगो को जमीन से आसमान पर पहुचाया है. आइये हम कुछ ऐसे ही लोगो के बारे मे जानते है जो अपने जीवन की शुरुआती दौर मे तो बहुत ज्यादा परेशान रहे. लेकिन आज सफलता उनके कदमों मे है.

दवा कंपनी मैनकाइंड फार्मा लिमिटेड के बारे में देश के ज्यादातर लोग जानते होंगे. मगर क्या आप यह जानते हैं कि इस कंपनी के फाउंडर और चेयरमैन आर. सी. जुनेजा कभी मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव थे. जुनेजा की सोच और कड़ी मेहनत के कारण ही मैनकाइंड आज भारत में सबसे तेजी से बढ़ने वाली कंपनियों में से एक है.

1955 में जन्मे आर सी जुनेजा ने साइंस में ग्रेजुएशन पूरी कर लेने के बाद साल 1974 में नी फार्मा कंपनी में मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव के तौर पर अपना करियर शुरू करा था. वर्ष 1975 में, वह ल्यूपिन कंपनी में शामिल हो गए.

और यहाँ उन्होंने लगभग 8 वर्षों तक प्रथम पंक्ति प्रबंधक के रूप में कार्य किया. 1983 में आर सी जुनेजा ने ल्यूपिन कंपनी से इस्तीफा दे दिया. और पार्टनरशिप में उन्होंने अपनी कंपनी बेस्टोकेम की शुरुआत कर दी.

साल 1994 में आर सी जुनेजा ने बेस्टोकैम से अपनी ओनरशिप वापस ले ली थी और अपने छोटे भाई राजीव जुनेजा के साथ मिलकर 50 लाख रुपये के निवेश से 1995 में मैनकाइंड फार्मा की शुरुआत कर दी.

आर सी जुनेजा की प्रारंभिक टीम में 25 मेडिकल रिप्रजेंटेटिव थे. उनकी देखरेख में ही यह कंपनी 1995 में ही 3.79 करोड़ रुपये की हो गई. उन्होंने एक छोटी सी घटना से प्रभावित होकर फार्मा कारोबार में उतरने का फैसला किया. दरअसल, अपने करियर की शुरुआत में जुनेजा एक केमिस्ट की दुकान पर मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव के तौर पर खड़े थे.

तभी वहां पर एक व्यक्ति दवा लेने के लिए पहुंचा. मगर उस व्यक्ति के पास बिलकुल भी पैसे नहीं थे. उस व्यक्ति को दवा की इतनी आवश्यकता थी कि उसने दवा की कीमत के बदले कुछ चांदी के गहने देने लगा.

यही वह क्षण था जिसने जुनेजा को सोचने पर मजबूर कर दिया कि क्या किया जाए ताकि लोगों को जरूरी दवाएं किफायती और किफायती दाम पर उपलब्ध कराई जा सकें. मैनकाइंड शुरू करने के बाद जुनेजा ने क्वालिटी के साथ-साथ कीमत का भी खास ख्याल रखा.

इसके साथ ही वह अपनी कारोबारी रणनीति में नियमित रूप से कुछ न कुछ नया करते रहे. जुनेजा को फोर्ब्स के सबसे अमीर भारतीयों की सूची में भी शामिल करा गया है.

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