कभी सिम कार्ड बेचते थे, शुरू किया खुदका बिजनेस, आज है 71 हजार करोड़ की कंपनी का मालिक

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यदि हौसले बुलंद हों तो फिर दुनिया की कोई भी ताकत सफलता पाने से रोक नहीं सकती. कुछ ऐसा ही काम कर दिखाया है 17 साल की उम्र में इंजीनियरिंग छोड़कर रितेश अग्रवाल ने बिना किसी की भी मदद से शुरू करी इस कंपनी को लगभग 71 हजार करोड़ रुपये से भी ज्यादा की ऊंचाई तक पहुंचा दिया है.

24 साल के सबसे युवा भारतीय रितेश अग्रवाल को हुरुन रिच लिस्ट 2020 में अब ओयो के फाउंडर भी जगह मिली है. रितेश अग्रवाल की नेटवर्थ लगभग 110 करोड़ डॉलर यानी करीब 8,000 करोड़ रुपये तक की है. रितेश अग्रवाल की यह कंपनी भारत की कामयाब इंटरनेट कंपनियों की लिस्ट में फ्लिपकार्ट (20 अरब डॉलर) और पेटीएम (10 अरब डॉलर) के बाद तीसरी कंपनी बन चुकी है.

रितेश अग्रवाल को घूमने का बहुत ही ज्यादा शौक था. साल 2009 में उनको मसूरी और देहरादून में जाने का मौका मिला. यहां रितेश अग्रवाल को महसूस हुआ कि कुछ ऐसी खूबसूरत जगहें हैं, जिनके जगह के बारे में काफी कम लोग ही जानते हैं.

फिर ऐसे ही अनुभवों ने रितेश अग्रवाल को प्रेरित करा और फिर एक दिन रितेश अग्रवाल ने एक ऑनलाइन सोशल कम्युनिटी बना लेने के बारे में सोचा, जहां पर एक ही प्लेटफॉर्म पर सर्विस प्रोवाइडर्स और प्रॉपर्टी के मालिकों की सहायता से टूरिस्ट्स को बेड एंड ब्रेकफास्ट के साथ रहने की किफायती सुविधा आसानी से मुहैया करवाई जा सके.

साल 2011 में रितेश अग्रवाल ने ओरावेल की शुरुआत करी थी. उनके इस आइडिया से प्रभावित होकर गुड़गांव के मनीष सिन्हा ने ओरावेल में निवेश करा और फिर वे को-फाउंडर बन गए.

फिर साल 2012 में रितेश अग्रवाल की इस कंपनी को आर्थिक मजबूती मिल गई थी, जिस समय भारत के पहले एंजल आधारित स्टार्ट-अप एक्सलेरेटर वेंचर नर्सरी एंजल से बुनियादी पूंजी मिली. हालांकि, वेंचर को खड़ा कर लेने में रितेश अग्रवाल को बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ा था, जिनमें की प्रमुख थीं- मार्केटिंग, फंडिंग, और प्रॉपर्टी के मालिकों और इन्वेस्टर्स तक पहुंचना.

17 वर्ष की उम्र में रितेश अग्रवाल ने ओरावेल डॉट कॉम की शुरुआत करी थी. यह एक ऐसा मार्केटप्लेस है जहां पर आप 3,500 से ज्यादा कमरों और अपार्टमेंट की सूची से अपने लिए बहुत ही आरामदायक और किफायती कमरे को ढूंढ और आसानी से बुक कर सकते हैं. रितेश अग्रवाल की यह कंपनी ओयो इन्स (ओयोहोटल्स डॉट कॉम) का संचालन भी करती होती है, जहां पर बहुत ही कम कीमत के होटल्स की एक चेन उपलब्ध कराई जाती है.

रितेश अग्रवाल उन लोगों की टीम का नेतृत्व करने वाले एकमात्र ड्रॉपआउट हैं, जिन्होंने आईआईटी, एचबीएस, आईआईएम, और आईवी लीग्स में पढ़े है. रितेश अग्रवाल ऐसा कहते हैं कि देश में, ड्राप आउट वाले व्यक्ति का बहुत ही मजाक बनाया जाता है. इसे स्मार्ट और समझदार बिलकुल भी नहीं समझा जाता है. रितेश अग्रवाल ने एक बार इंटरव्यू में ऐसा कहा था कि उन्हें यह पूरी उम्मीद है आने वाले अगले कई साल में भारत में बहुत से और ड्राप आउट भी बहुत ज्यादा नाम कमाने वाले है.

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