5 मार्च 2014 का दिन था आईपीएल का मैच राजस्थान और कोलकाता के बीच था. वे 5 ओवर में 49 रन बनाना चाहते थे और कोलकाता ने केवल 3 विकेट गंवाए. कोलकाता नाइट राइडर्स इस मैच को आराम से खेलने वाली थी. सभी ने उम्मीद छोड़ दी थी कि राजस्थान जीत जाएगा और गेंद किसी कम जाने-पहचाने गेंदबाज को दे दी गई और फिर इतिहास हो गया. इस नए गेंदबाज का नाम था प्रवीण तांबे.
प्रवीण तांबे ने लगातार तीन गेंदों पर बड़े बल्लेबाज को आउट कर हैट्रिक का जश्न मनाया और कोलकाता कभी भी मैच में वापस नहीं आ पाया. यह सब करने वाले गेंदबाज थे प्रवीण विजय तांबे. उम्र थी 42 साल. टी20 के इस दौर में जहां बहुत जोश और खून का छींटा है, वैसे में इस बड़े आदमी ने अपनी अलग छाप छोड़ी थी. लेकिन प्रवीण तांबे की कहानी महज एक मैच नहीं है, 41 साल की उम्र में दी क्रिकेट में एंट्री करने का जूनून! आज की कहानी इस कुशल तांबे की जिद के बारे में है.
प्रवीण का जन्म 8 अक्टूबर 1971 को मुंबई में हुआ था. कुशल क्रिकेट का दीवाना बचपन से ही रहा है. उसका सपना एक अच्छा तेज गेंदबाज बनना था लेकिन वह यह नहीं जानता था की भविष्य उसे लेगस्पिनर बनाने वाला है. वह 41 साल की उम्र तक अपने जीवन और सपनों को संतुलित करते हुए कुशल क्रिकेट खेलते रहे थे, लेकिन प्रथम श्रेणी क्रिकेट में भी उन्हें कोई नहीं ले पाया.
कोई और होता तो इतने सालों से कुछ और कर रहा होता, लेकिन उसका नाम तांबे होते हुए भी प्रवीण असली सोना है और इसलिए वह बिना हारे खेलता रहा और जब भी मौका मिला तो उसने शुरू कर दिया. उनके जीवन की कई घटनाएं उनके जीवन को रोशन करती रहीं
प्रवीण 1994-95 में एच-डिवीजन मैच खेल रहा था. अगले दस वर्षों में, उन्होंने अपने खेल में सुधार किया और ए-डिवीजन में जगह बनाई. लेकिन उसके बाद क्या? वह प्रथम श्रेणी क्रिकेट तक भी नहीं पहुंचे. 2000 में वह मुंबई से रणजी खेलने के काफी करीब आ गए लेकिन किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया.
जीवन में 20 साल बहुत लंबा समय होता है. मैं क्रिकेट खेलना चाहता था लेकिन अपने परिवार की कीमत पर नहीं. इसलिए मैं बड़ी और छोटी चीजें करता था. अक्सर मेरी तनख्वाह 2500 रुपये प्रति माह भी नहीं होती थी. लेकिन सपने और पैसा दो अलग चीजें हैं.
श्रेयस तलपड़े ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट से ‘कौन प्रवीण तांबे?’ का फर्स्ट लुक शेयर किया. यह फिल्म 1 अप्रैल को हॉटस्टार डिज्नी प्लस पर रिलीज हुई है. श्रेयस ने इस फर्स्ट लुक को क्रिकेट में सबसे अनुभवी डेब्यूटेंट और सबसे प्रेरक चीज के रूप में साझा किया. फिल्म में श्रेयस के साथ आशीष विद्यार्थी, परमब्रत चटर्जी और अंजलि पाटिल मुख्य भूमिका में हैं. फिल्म का निर्देशन जयप्रदा देसाई ने किया है.
17 साल बाद श्रेयस एक बार फिर क्रिकेटर के रोल में नजर आएंगे. उन्होंने यह भावना व्यक्त की है कि ऐसा अवसर उनके जीवन में केवल एक बार उनके साक्षात्कार में आता है. उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने इस भूमिका के लिए कड़ी मेहनत की और काम करते हुए प्रवीण तांबे से बहुत कुछ सीखा. इस फिल्म में प्रवीण तांबे का 20 साल का सफर दिखाया गया है.