कभी 50 रुपये की दिहाड़ी करने वाला लड़का, सायकल बेचकर पोहोंचा दिल्ली; आज हर महीने कमाता है लाखों रुपये

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आज हम एक ऐसे लड़के के बारे में बात करने वाले हैं जिसने 12वीं के बाद अपनी पढ़ाई को छोड़ दी थी और अपना खुद के स्टार्टअप की शुरुवात करी और उस नए स्टार्टअप को सफलता की ऊंचाइयों पर भी पहुंचा दिया.

बिहार के रंजन मिस्त्री का कमाल

बिहार के गया में एक छोटे से गांव चकोरी में जन्मे रंजन मिस्त्री ने साल 2016 में अपने स्टार्टअप की शुरुवात करी थी. रंजन कैंपसवार्ता नाम से एजुकेशन साइट को चलाते होते हैं. रंजन की इस वेबसाइट पर यूनिवर्सिटी-कॉलेज और शिक्षा से जुड़ी हुई हर तरह की जानकारियां मिलती होती हैं. इसके साथ ही रंजन सोशल इंटरप्रेन्योर हैंडल करते हुए हर महीने लगभग 3 लाख से भी ज्यादा का कारोबार कर रहे हैं. रंजन अब तक बहुत से लोगो को रोजगार भी दे चुके है.

कभी करते थे 50 रुपये की दिहाड़ी

आज के समय में रंजन भले ही कामयाब हो चुके है मगर रंजन के लिए सफल होना आसान बिलकुल भी नहीं रहा है. रंजन लकड़ी का काम करते होते थे और रंजन एक बढ़ई परिवार में जन्में थे और जब वे 9वीं कक्षा में थे तब से ही रंजन अपने परिवार की मदद करने के लिए बढ़ई का काम करना शुरू कर दिया था और फिर ऐसा करके रंजन को 50 रुपए की देहाड़ी मिलती होती थी.

शुरू करा खुद का स्टार्टअप

रंजन भले ही पैसे न होने की वजह से ज्यादा पढ़ नहीं पाए थे मगर रंजन छठी कक्षा के बच्चों को पढ़ा कर सोशल इंटरप्रेन्योर से जुड़ने लगे थे. मगर रंजन के घर वाले चाहते थे कि रंजन कोई नौकरी करके घर के खर्च चलाए.
मगर रंजन ने तो आसमान को छूने के सपने देखे हुए थे. रंजन ने वर्ष 2016 में IIT खड़गपुर से 1 साल का फ्री में टेक्नोलॉजी बेस्ड एंटरप्रेन्योरशिप प्रोग्राम करा था.

साल 2016 में दिल्ली में रंजन यंग इंडिया चैलेंज प्रोग्राम में शामिल हो चुके थे, मगर रंजन की सबसे आखिर में बारी आने के कारण रंजन को प्रोग्राम में भाग लेने का मौका ही नहीं मिला था. दिल्ली यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में आयोजित होने वाले इस यंग इंडिया चैलेंज में पुरे देशभर के लगभग 1,500 से लेकर 2,000 तक कैंडिडेट को बुलाया जाता हैं.

यहां तक आने के लिए रंजन के पास बिलकुल भी पैसे नहीं थे. फिर इसके लिए रंजन ने अपनी साइकिल को बेच दी थी और फिर रंजन दिल्ली में आ गए फिर इसी दिल्ली ने ही रंजन को नया रास्ता दिखाया.

फिर रंजन ने धीरे धीरे आगे बढ़ते हुए कैंपसवार्ता को शुरू किया. और इसके शुरुआत में ही बहुत से लोगों ने रंजन से इसके बारे में कहा कि ‘ये तो बिलकुल भी नहीं चल पाएगा बिहार में भी कुछ नहीं हो पाएगा और गांव में आखिर कौन इन सब चीजों को करना चाहता है.’ मगर इसके बाद भी रंजन ने बिलकुल भी हार नहीं मानी और स्कूल-कॉलेज में जाकर इन सब चीजों के बारे में छात्रों को समझाने लगे.

रंजन आज के समय में हैं सफलता की ऊंचाइयों पर

आज के समय में रंजन की कैंपसवार्ता लगभग 22 राज्यों में बहुत ही अच्छी तरह से काम कर रही है. इसमें करीब 1,800 से भी ज्यादा कॉलेज और लगभग 100 से भी अधिक यूनिवर्सिटीज जुड़ चुके हैं. और इनसे संबंधित हर तरह की जानकारियां भी इस प्लेटफॉर्म दी गई हैं.

रंजन यह बताते हैं कि आज के समय में भी गांव के काफी बच्चे ऐसे भी हैं जिन्हें इस बारे में बिलकुल भी पता नहीं है कि भारत में 20 से ज्यादा सेंट्रल यूनिवर्सिटीज इस तरह की भी हैं जहां पर कोई भी कोर्स की साल की फीस 10 हजार से लेकर 30 हजार तक देते होते है और वहीं यदि ये कोर्स कोई भी प्राइवेट यूनिवर्सिटी से छात्र करते है तो फिर छात्रों को इसके लिए 3 से लेकर 5 लाख रुपए तक देने पड़ते हैं.

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