पीरामल ग्रुप के चेयरमैन अजय पीरामल अपने व्यवसायी फैसलों के लिए मशहूर हैं. एक सफल उद्यमी के रूप में, अजय पीरामल ने पिछले 4 दशकों में अपने समूह को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है. 1980 के दशक के अंत तक वे एक कपड़ा कंपनी और एक मशीन टूल कंपनी भी चला रहे थे. यह काम अजय पीरामल को अपने पिता से विरासत में मिला था. तो आइए जानते हैं, कितना बड़ा है अजय पीरामल का कारोबारी साम्राज्य.
पिता ने सौंपी थी इस कंपनी की जिम्मेदारी
अजय पीरामल का $4 बिलियन का पीरामल एंटरप्राइजेज फार्मास्युटिकल, वित्तीय सेवाओं, रियल एस्टेट, हेल्थकेयर एनालिटिक्स और ग्लास पैकेजिंग क्षेत्रों में काम करता है. अन्य देशों से प्राप्त राजस्व समूह के कुल राजस्व का एक तिहाई है. पीरामल ग्रुप के कार्यालय दुनिया के लगभग 30 देशों में हैं. अजय पीरामल ने जमनालाल बजाज इंस्टीट्यूट ऑफ बिजनेस स्टडीज से एमबीए करी और फिर उन्होंने अपने पारिवारिक व्यवसाय को देखना शुरू कर दिया. इसके बाद उनके पिता गोपीकृष्ण पीरामल ने उस समय नई अधिग्रहीत कंपनी मीरांडा टूल्स की जिम्मेदारी अजय पीरामल को सौंप दी थी.
फार्मा सेक्टर में आने से पहले अजय पीरामल ने टेक्सटाइल कारोबार को ही आगे बढ़ाने की कोशिश की थी. हालांकि यहां उन्हें लेबर संबंधी दिक्कतों का काफी सामना करना पड़ा और फिर उन्होंने फार्मा सेक्टर का रुख किया. फिर उन्होंने निकोलस लैब्स को खरीद लिया.
निजी संपत्ति में करा था 1.6 अरब डॉलर का इजाफा
अजय पीरामल ने साल 2010 में अपनी दवा कंपनी निकोलस पीरामल को मशहूर एबोट को बेच दिया था. पिरामल ने एबोट को निकोलस पीरामल को 30 गुना लाभ पर बेच दिया. उनके निकोलस पीरामल को बेचने के फैसले ने उस समय कई विशेषज्ञों को हैरान कर दिया था. मगर एबोट ने अपनी दवा कंपनी निकोलस पीरामल को बेचने के फैसले से पीरामल की निजी संपत्ति में 1.6 अरब डॉलर का इजाफा करा था.
पीरामल ने वोडाफोन से भी बड़ी कमाई करी है
इतना ही नहीं, अजय पीरामल ने एक समय में वोडाफोन के माध्यम से भी बहुत ही अच्छी खासी कमाई करी थी, जो आज भारत में अपने व्यवसाय के लिए संघर्ष कर रहा है. साल 2014 में, उन्होंने वोडाफोन इंडिया लिमिटेड में अपने सभी शेयर प्राइम मेटल लिमिटेड को 8,900 करोड़ रुपये में बेच दिए थे. वोडाफोन इंडिया लिमिटेड के कुल शेयरों में अजय पीरामल के पास 11 फीसदी हिस्सेदारी है.