क्रिकेट खेलते समय गेंद उनके सिर पर न लगी होती तो उदय आज 87,000 करोड़ रुपये के मालिक नहीं बनते

0
547

आज उदय कोटक का नाम हर व्यक्ति जानता है. हम बात कर रहे हैं कोटक महिंद्रा बैंक के मालिक उदय कोटक के बारे में. 15 मार्च 1959 को उदय कोटक का जन्म हुआ था.

उनके पिता का नाम सुरेश कोटक था पाकिस्तान से आया हुआ यह कोटक परिवार कपड़ा का बड़ा व्यापारी था. उदय के अंकल और धीरूभाई आपस में दोस्त हुआ करते थे. उदय के चाचा का पोलैंड में ऑफिस था. वह निर्यात का व्यापार करते होते थे. तो आइए जानते हैं उदय की सफलता की कहानी के बारे में विस्तार से.

सर पर लगी चोट
उदय सितंबर 1979 में एक दिन क्रिकेट खेल रहे थे और अचानक ही बॉल सिर में आकर लगी. और वो मैदान में ही बेहोश हो गये, परिवार वालो ने देखा तो तुरंत ही अस्पताल ले गये, लेकिन डॉक्टर की बात सुनकर सबके चेहरे पर मायूसी छा गयी. डॉक्टर ने बताया की उदय को ब्रेन हेमरेज हुआ है और तुरंत हि ऑपरेशन करना पड़ेगा.

और एक साल का ब्रेक उनकी पढाई पर लग गया, लेकिन दुनिया को हारने वाले खुद खा हारते है , साल भर बाद जब उन्होंने परीक्षा दी तो Bombay University में टोपर रहे. परिवार वालो से जिद की और जमनालाल कॉलेज में एडमिशन लिया ,वह से उन्होंने MBA किया.

शुरू की फाइनेंसियल कंसल्टेंसी
जब उदय कोटक ने अपना कार्यालय खोला, उन दिनों बैंक जमाकर्ताओं से 6% और ऋण पर 16.5% ब्याज वसूल करते थे. उदय कोटक अपना काम कर रहे थे कि एक दिन उसकी मुलाकात एक ऐसे शख्स से हुई जो टाटा की कंपनी नेल्को का फाइनेंस देख रहे थे.

उस समय नेल्को बाजार से पैसे ले रही थी. उदय कोटक ने अपने दोस्तों से नेल्को से पैसे लेने की बात करने को कहा. और सौभाग्य से उनकी बात हो गई और उन्होंने नेल्को को पैसे दिए. साल 1980 में, कई विदेशी बैंकों ने भारत में कार्यालय खोले. और फिर उदय कोटक को वित्त जुटाने के अधिक अवसर मिले. वह साल 1985 को अपने लिए भाग्य का द्वार खोलने वाला मानते हैं.

आनंद महिंद्रा से मिलने के बाद हुई कोटक महिंद्रा शुरू
ग्रिंडलेज में उनके दो दोस्त थे, सिडनी पिंटो और मेंटर. एक दिन, बातचीत के दौरान, पिंटो ने उसे अपना वित्त व्यवसाय शुरू करने के लिए कहा. और उसी साल उनकी मुलाकात पल्लवी से हुई, जिनसे उनकी शादी हुई.

उसी वर्ष ही आनंद महिंद्रा से भी उनकी मुलाकात हुई थी, जिनकी महिंद्रा ऑगीन के लिए उदय कोटक ने धन भी जुटाया था. आनंद ने उन्हें अपना वित्त व्यवसाय शुरू करने के लिए भी कहा. और साल 1986 में उन्होंने आनंद महिंद्रा की मदद से 30 लाख रुपये से कंपनी शुरू कर दी. इस वजह से उन्होंने अपने बैंक का नाम कोटक महिंद्रा बैंक रखा.

अनिल अंबानी की शादी में एक दोस्त से मिले उदय कोटक, जो एफडी के कारोबार से छुटकारा पाने की कोशिश कर रहा था. फिर उस समय उदय कोटक ने उस बिजनेस को 50 लाख में खरीद लिया. दलाल स्ट्रीट में पदभार संभाला और 5 साल के भीतर कोटक महिंद्रा मर्चेंट बैंकिंग में भी आ गई. साल 1991 में ही कंपनी एक पब्लिक इश्यू लेकर आई थी.

उदय कोटक को कोटक महिंद्रा में से बिलकुल ही गोल्डमैन साक्स के जैसी ध्वनि आती होती थी. और एक दिन उन्होंने गोल्डमैन साक्स के हेंक पॉलसन के साथ एक डील साइन की. तभी से दुनिया उनकी सफलता के बारे में जानती है.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here