हमारा समाज सोचता है कि जीवन में सफलता के लिए अध्ययन और अच्छी डिग्री प्राप्त करना सबसे महत्वपूर्ण चीजें हैं. शायद यह बात कुछ हद तक सच भी हो. लेकिन हमारे समाज का एक वर्ग ऐसा भी है जिसने शिक्षा के अभाव में सफलता का झंडा फहराया है और आज यह नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत है. जिस शख्स की सफलता का आज हम जिक्र करने जा रहे हैं उसने आर्थिक तंगी के कारण स्कूल छोड़ दिया, लेकिन अपनी मेहनत और उच्च महत्वाकांक्षाओं के कारण आज वह 700 करोड़ रुपये की कंपनी के मालिक बन गए हैं.
एक मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मे कैलाश काटकर का जीवन संघर्ष से भरा था. पिता एक इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी के कर्मचारी थे, उनका वेतन इतना कम था कि पूरा परिवार आर्थिक संकट में था. घर पर आर्थिक मदद करने के उद्देश्य से कैलाश ने स्कूल के समय से ही काम करना शुरू कर दिया था. उन्हें एक रेडियो और कैलकुलेटर की मरम्मत की दुकान में नौकरी मिल गई.
एक साथ काम करना और पढ़ाई करना बहुत मुश्किल था. और कैलाश के लिए सबसे बड़ी चुनौती घर की आर्थिक स्थिति थी. आखिरकार उन्होंने अपनी शिक्षा छोड़ दी और काम करना शुरू कर दिया. कुछ दिन किसी और की दुकान में काम करने के बाद वह खुद की दुकान खोलने की सोचने लगा. उन्होंने जो पैसा कमाया, उससे उन्होंने पुणे में एक किराए की दुकान में रेडियो और कैलकुलेटर की मरम्मत का व्यवसाय शुरू किया. उन्होंने अपने पहले वर्ष में दिन-रात काम करके 45,000 रुपये कमाए. पहली बड़ी सफलता ने उनकी आत्मा को एक नया जीवन दिया.
यह घटना उस समय हुई जब सॉफ्टवेयर का कारोबार अपने चरम पर था. कैलाश ने भी इस क्षेत्र में कदम रखने की सोची, लेकिन चूंकि उन्हें कंप्यूटर के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी, इसलिए उन्होंने सबसे पहले बेसिक कंप्यूटर कोर्स करना शुरू किया. फिर 1993 में उन्होंने कंप्यूटर रिपेयर का बिजनेस शुरू किया. इस व्यवसाय में अच्छी सफलता के साथ, उन्होंने एक लाख से अधिक का लाभ कमाया.
इस बीच उनके भाई की सॉफ्टवेयर की पढ़ाई भी खत्म हो रही थी. उन्होंने उसी समय अपने भाई के व्यवसाय में रुचि दिखाते हुए काम करना शुरू कर दिया. दोनों भाइयों ने क्विकहील नाम का एक एंटी-वायरस विकसित किया, लेकिन लोगों ने उनके उत्पाद में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई. जबरदस्ती उन्होंने फ्री एंटीवायरस देना शुरू कर दिया और सॉफ्टवेयर की दुनिया में अपनी पहचान बनाने में सफल रहे.
कैलाश ने अपनी सफलता को एक नई दिशा देते हुए क्विकहील टेक्नोलॉजी नाम से एक कंपनी की स्थापना की और अपने उत्पाद को इंटरनेट के माध्यम से पूरी दुनिया में पेश किया. आज कंपनी का करोड़ों का कारोबार है और 20 से अधिक देशों में लोग इसका इस्तेमाल करते हैं.
आज कैलाश 700 करोड़ रुपये की कंपनी के सीईओ हैं. कैलाश की सफलता हमें सिखाती है कि प्रतिभा को किसी सुविधा की जरूरत नहीं होती. सफलता का एक द्वार बंद होगा तो दूसरा खुल जाएगा, बिना निराश हुए बस लक्ष्य पर ध्यान लगाओ.