आईआईटी दिल्ली से पढ़े हुए दो इंजीनियरों विदित आत्रे और संजीव बरनवाल द्वारा बनाए गए मीशो ऐप को दुनिया के 10 सबसे ज्यादा डाउनलोड करे जाने वाले ऐप में शामिल किया जा चूका है. मीशो ने फेसबुक को भी पीछे छोड़ दिया है. आज हम लेकर आए हैं मीशो के एक सफल ब्रांड बनने की कहानी.
ऐसे हुई मीशो की शुरुआत
विदित आत्रे और संजीव बरनवाल आईआईटी दिल्ली के बैचमेट हैं. साल 2015 में विदित आत्रे इनमोबी कंपनी में काम करते होते थे, और संजीव बरनवाल सोनी कंपनी में नौकरी करते थे, तभी उन्होंने अपना कुछ शुरू करने का फैसला करा. जून 2015 में दोनों ने इस्तीफा दे दिया और फ़ैशनियर ऐप बनाया. इस ऐप के जरिए लोग स्थानीय बाजार के किसी भी स्टोर से कोई भी उत्पाद खरीद सकते थे. तमाम कोशिशों के बावजूद किसी ने उनके ऐप का इस्तेमाल नहीं करा.
दिमाग में आया नया आइडिया
विदित और संजीव ने देखा कि बहुत से दुकानदार अपने ग्राहकों को व्हाट्सएप ग्रुप में जोड़ते हैं. जब कोई भी नया उत्पाद आता है, तो वे उसे ग्राहक को भेजते हैं. और वहीं से दुकानदार को ऑर्डर भी मिल जाता है. उन्होंने महसूस किया कि सोशल मीडिया पर भारत में 50 करोड़ से भी ज्यादा लोग हैं. यदि उन्हें ई-कॉमर्स की तरफ मोड़ दिया जाए तो फिर उनका काम हो सकता है. यहीं से ही फैशनर को बदलकर मीशो लॉन्च कर दिया गया मीशो यानी मेरी शॉप.
खरीद के साथ मिला आय का स्रोत
मीशो के माध्यम से, पुनर्विक्रेताओं को आय का एक स्रोत मिला, जिसमें ज्यादातर महिलाएं थीं. यह एक ऐसा प्लेटफॉर्म बन चूका है जिसमें उत्पाद, रसद सेवाएं, भुगतान एकीकरण और विपणन उपकरण सभी एक ही स्थान पर आसानी से उपलब्ध थे. उदाहरण के लिए, एक गृहिणी. वह व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम पर अपने ग्राहकों को मीशो का प्रोडक्ट कैटलॉग आसानी से दिखा सकती है.
वहां से ऑर्डर प्राप्त कर के मीशो के थोक विक्रेता से ऑर्डर भी प्लेस कर सकती है. यह माल सीधे ग्राहक के घर पहुंचेगा और बीच में गृहिणी आसानी से 10-15% का कमीशन कमा सकती है. छोड़े बिजनेस, छोटे शहरों, कस्बों, और गृहणियों के बीच ये कॉन्सेप्ट बहुत ही तेजी से पॉपुलर हो रहा है.
तेजी से बनी 35,000 करोड़ की कंपनी
साल 2016 में, विदित और संजीव ने पहली बार करीब 2 करोड़ रुपये जुटाए थे. फिर इसके बाद अभी तक 6 राउंड की फंडिंग में कुल करीब 8 हजार करोड़ रुपये जुटाए जा चुके हैं. लॉन्च के महज 6 साल में मीशो की वैल्यूएशन 35,000 करोड़ रुपये के करीब पहुंच गई थी. मीशो ने साल 2020 में 315 करोड़ रुपये का रेवेन्यू जुटाया था.