वर्तमान में स्पाइसजेट देश की दूसरी सबसे बड़ी एयरलाइन कंपनी है. स्पाइसजेट हर दिन करीब 630 उड़ानें संचालित करती होती है. इसमें सबसे ज्यादा उड़ानें देश के अंदर से होती हैं. इस कंपनी ने लगभग देश के अंदर की उड़ानों के एक बहुत ही बड़े मार्किट में कब्जा कर लिया है तो आइए आज जानते हैं स्पाइसजेट एयरलाइन कंपनी की सफलता की कहानी के बारे में.
कुछ ऐसा रहा स्पाइसजेट का इतिहास
स्पाइसजेट कंपनी का इतिहास साल 1984 से शुरू हुआ था. भारतीय उद्योगपति एसके मोदी ने उसी साल देश के अंदर प्राइवेट एयर टैक्सी की शुरुआत करी थी. फिर उसके बाद साल 1993 में इसका नाम बदलकर एमजी एक्सप्रेस कर दिया गया था. फिर इसके बाद उन्होंने जर्मन कंपनी लुफ्थांसा के साथ मिलकर और तकनीकों को साझा करा. इसके बाद उन्होंने इन दोनों कंपनी को एक साथ मिला कर कंपनी का नाम मोदीलुफ्ट रख दिया.
कैसे शुरू हुई थी स्पाइसजेट
फिर अजय सिंह ने साल 2004 में उनकी कंपनी का अधिग्रहण कर लिया और इसका नाम बदलकर स्पाइसजेट कर दिया. अजय सिंह ने स्पाइसजेट के टिकट की कीमत भी बहुत कम रखी क्योंकि आम आदमी के लिए जहाज में बैठना आसान नहीं था. उस समय टिकट बहुत महंगे थे. उसके बाद स्पाइसजेट का कारोबार काफी ज्यादा तेजी से बढ़ने लगा.
साल 2010 में हुआ था सबसे बड़ा निवेश
स्पाइसजेट जुलाई 2008 तक बाजार हिस्सेदारी के मामले में तीसरी सबसे कम लागत वाली कंपनी बन चुकी थी फिर साल 2010 में कंपनी में सबसे बड़ा निवेश आया. कलानिधि मारन ने उसी साल सन ग्रुप के जरिए 37.7 फीसदी हिस्सेदारी खरीद ली थी. जिससे कंपनी को नए विमान खरीदने के लिए पैसे भी मिले.
कंपनी में प्रमुख हिस्सेदारी रखने वाला व्यक्ति ही हमेशा कंपनी का मालिक होता है. वे ही कंपनी के सभी बड़े निर्णय लेते है. अजय सिंह साल 2004 से अब तक कंपनी को संभाल रहे हैं. अजय सिंह वह व्यक्ति हैं जिन्होंने स्पाइसजेट की शुरुआत करी थी और अब तक वे ही कंपनी को संभाल रहे.