पिता की कंपनी में सीखा था काम, आइडिया जबरदस्त था; आज खड़ी कि 100 करोड़ रुपये की कंपनी

0
566

जब पीएम रिलोकेशन की आकांक्षा भार्गव पुरुषों के मूवर्स एंड पैकर्स के बिजनेस में शामिल हुईं तब लोगों को शक था कि आकांक्षा भार्गव इस बिजनेस में ज्यादा समय तक टिक पाएगी अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति के बल पर आकांक्षा ने मूवर्स एंड पैकर्स बिजनेस में अपनी एक नई जगह बनाई है.

जीवन में संघर्ष करने का महत्व सीखा

कोलकाता में जन्मीं आकांक्षा भार्गव का परिवार साल 1992 में दिल्ली में रहने लगा था. दिल्ली में पली-बढ़ी आकांक्षा ने जीवन में संघर्ष करने का महत्व सीखा. दिल्ली में रहने के कारण आकांक्षा भार्गव ने अपनी तरफ से सोचना, दोस्त बनाना, तरह-तरह के लोगों के संपर्क में आना, अपना मेंटर बनाना जैसी कई चीजें सीखीं. आकांक्षा के जुनून के पीछे दिल्ली जैसे शहर का बड़ा रोल है. आकांक्षा भार्गव बचपन से ही रिलोकेशन इंडस्ट्री से काफी प्रभावित थीं.

दो महीने में बढ़ने लगा कारोबार

आकांक्षा भार्गव ने बचपन से ही अपने पिता को रीलोकेशन का काम करते हुए देखा था. फिर उन्होंने रीलोकेशन व्यवसाय में हाथ आजमाने का फैसला किया. आकांक्षा नियमित कर्मचारी के तौर पर अपने पिता की कंपनी पीएमआर में शामिल हुईं.

करीब 2 महीने तक काम करने के बाद आकांक्षा भार्गव ने पीएम आर के बिजनेस को बैंगलोर में फैलाने की योजना बनाई. अपने पिता को पीएमआर में कड़ी मेहनत करते देख आकांक्षा को भरोसा था कि वह बैंगलोर में पीएमआर रिलोकेशन ऑफिस स्थापित कर लेगी.

पीएमआर का कारोबार कई गुना बढ़ा

वर्ष 1986 में शुरू हुए पीएम रीलोकेशंस का यह बीजनेस साल 2007 तक लगभग 3 करोड़ रुपये का था. आकांक्षा के शामिल होने के बाद कंपनी के कारोबार में काफी तेजी से वृद्धि दर्ज करी गई थी. वर्तमान में पीएम रिलोकेशन के देश भर के 8 महानगरों में कार्यालय हैं. जबकि उनके कर्मचारियों की संख्या 600 को पार कर चुकी है.

पीएम रिलोकेशन्स ने देश के लगभग सभी जिला मुख्यालयों में अपना बिजनेस पार्टनर बना लिया है. जिसकी मदद से कोई भी व्यक्ति अपना सामान कहीं और शिफ्ट कर सकता है. पीएम रिलोकेशन का कारोबार अभी लगभग ₹100 करोड़ के करीब पहुंच चूका है.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here