पिता ने नौकरी छोड़ बेटे के सपने पर किया काम; आज है 15 करोड़ रुपये के मालिक

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IPL के 15 वें सीजन की शुरुआत जल्द ही होने वाली है. सीजन का पहला मैच चेन्नई सुपर किंग्स और कोलकाता नाईट राइडर्स के बीच होने वाला है. हाल ही में विजय हजारे ट्रॉफी में उन्होंने रनो की बरसात कर मुंबई की टीम को खिताब दिलाया था. मुंबई में जन्मे और मूल रूप से बिहार के रहने वाले पृथ्वी शॉ का परिवार क्रिकेटर बनने के लिए संघर्ष कर रहा है. आइए जानते हैं उनकी जीवन यात्रा.

पृथ्वी पंकज शॉ का जन्म 9 नवंबर 1999 को विरार, मुंबई में हुआ था. एक सामान्य परिवार में जन्में पृथ्वी की मां का प्यार ज्यादा दिनों तक नहीं टिक पाया. जब वह 4 साल के थे तब उनकी मां का निधन हो गया था. पृथ्वी के पिता पंकज शॉ बिहार के गया जिले के मानपुर गांव के रहने वाले हैं. वह काम के सिलसिले में मुंबई आये और यहीं बस गए . उनकी कपड़े की दुकान थी. लेकिन पृथ्वी के माता की मृत्यु के बाद उन्होंने इसे बंद कर दिया. क्योंकि वो पृथ्वी पर ध्यान देना चाहते थे. उन्होंने बेटे के करियर के लिए अपना व्यवसाय बंद कर दिया. पृथ्वी के दादा-दादी अशोक और रामदुलारी अभी भी बिहार में कपड़ों की एक छोटी सी दुकान चलाते हैं.

जब पृथ्वी छोटा था तो उसके पिता उसे दोस्तों के साथ जेडब्ल्यू होटल के पास प्रैक्टिस करने ले जाते थे. वहां पृथ्वी ने बीच पर प्रैक्टिस की. उस समय वह केवल 11 वर्ष के थे. उनके पिता उन्हें गेंदबाजी करते थे. एक कंपनी की वजह से ही वह विरार से मुंबई जा पाए. पृथ्वी को पहली बार 2017 में मुंबई की रणजी टीम में चुना गया था.

उन्होंने अपना पहला मैच तमिलनाडु के खिलाफ खेला था. पहले मैच की दूसरी पारी में उन्होंने शतक लगाकर मुंबई को जीत दिला दी. उन्होंने यह शतक जड़कर सचिन का रिकॉर्ड तोड़ा. वह अपने पहले मैच में शतक लगाने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बने. उन्होंने पहले मैच में मैन ऑफ द मैच का अवार्ड भी जीता.

पृथ्वी ने विजय हजारे ट्रॉफी में भी अच्छा प्रदर्शन किया था. इस प्रदर्शन के इनाम के तौर पर भारत को वर्ल्ड कप के लिए अंडर-19 टीम में जगह मिली. उन्हें अंडर-19 टीम की कप्तानी भी मिली. उनके नेतृत्व में, भारत ने 2018 में अंडर -19 विश्व कप भी जीता. उन्होंने फाइनल में शतक भी लगाया था. 2018 में, पृथ्वी को दिल्ली डेयरडेविल्स ने 1.2 करोड़ रुपये में खरीदा था. अपने प्रदर्शन के दम पर उन्हें वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट के लिए भारतीय टीम में चुना गया. उनकी तुलना जल्द ही सचिन तेंदुलकर, ब्रायन लारा और वीरेंद्र सहवाग से की जाने लगी.

पृथ्वी शावला शिवसेना विधायक संजय पोटनिस ने बहुत मदद की है. उनके लिए विरार से आना और मुंबई में अभ्यास करना मुश्किल था. मुंबई में घर खरीदने की जरूरत नहीं पड़ी. पोटनिस ने तब उन्हें वकोला की एसआरए कॉलोनी में एक घर दिया था. फडणवीस से मिलने के बाद भी पोटनिस ने 2018 में धरती पर घर पाने की कोशिश की थी. यहां तक ​​कि उद्धव ठाकरे ने भी घर की चिंताओं को धरती पर छोड़ने का वादा किया था.

18 साल की उम्र में भारतीय टीम के लिए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण करने वाले पृथ्वी ने पहले टेस्ट में कीर्तिमान स्थापित किया. उन्होंने वेस्टइंडीज के खिलाफ अपने पदार्पण में शतक बनाया. उन्होंने 134 रन बनाकर अपनी छाप छोड़ी. बाद में उनका नाम वनडे टीम में रखा गया. लेकिन खराब फॉर्म के चलते उन्हें भारतीय टीम से बाहर कर दिया गया. लेकिन वह हार नहीं मानेंगे. उन्होंने विजय हजारे ट्रॉफी में रनों की बारिश की और मुंबई को खिताब जीतने में मदद की. आईपीएल के पहले मैच में उन्होंने 38 गेंदों में 78 रन की पारी खेली और फिर से भारतीय टीम के दरवाजे पर दस्तक दी.

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