अगर आपको जीवन में कुछ करने का ठान लिया, तो आपको सफल होने से कोई नहीं रोक सकता. सिर्फ संकटो का सामना करने की शक्ति आपमें होनी चाहिए. आज हम एक ऐसे शख्स से मिलने जा रहे हैं जिसका सफर आपको जरूर प्रेरित करेगा. यह शख्स पुणे के सारसबाग में वेटर का काम करता था. बर्तन धोता था. 400 रुपये वेतन पर काम करने वाला रमेश एक वेटर से ठेला का मालिक बन गया. वहां उन्होंने कई कष्ट सहे. लेकिन वह विपरीत परिस्थितियों से डरे नहीं और लड़ते रहे. आज उनके पास एक नामी होटल है. जी हां रमेश आज लाखों रुपए महीने कमाने वाले रमेश सेठ बन गए हैं. आइए देखते हैं पूरा सफर.
यह पुणे के रमेश अगवने की कहानी है. आज रमेश लुल्ला नगर की जानी-मानी सपना पावभाजी के मालिक हैं. लेकिन उनका अब तक का सफर कठिन रहा है. क्योंकि उन्होंने कभी सारसबाग में वेटर का काम किया था. इतना ही नहीं, उन्होंने फुटपाथ पर भी दिन बिताए. रमेश का जन्म भुम तालुका के चिंचकुर ढगे गांव में हुआ था. जब वह स्कूल में था तब से रमेश के पास एक व्यावसायिक कौशल था.
उन्होंने अपने पिता से 10 रुपये लिए थे और उस समय पाव का कारोबार शुरू किया था. उसमें उसने 15 रुपये कमाए. पैसा कमाना अच्छा लगा तो स्कूल जाना बंद कर दिया. पैसा बढ़ता रहा. व्यापार में जाने का फैसला किया. लेकिन परिवार चाहता था कि वह स्कूल जाए. लेकिन पढ़ाई में उनकी रुचि नहीं थी. घरवालों और स्कूल में शिक्षकों द्वारा पीटा जा रहा था. ऐसे ही 3-4 साल बीत गए. वे इस सब से थक चुके हैं. उन्होंने 9वीं पास करने के बाद ही स्कूल छोड़ा.
उस समय उन्होंने सब्जी बेचने, अंडे बेचने जैसे कई व्यवसाय किए. स्कूल छोड़ने के बाद उन्होंने 2-3 साल तक पावा का कारोबार किया. अच्छा पैसा कमाया. कुछ दिनों के लिए, बार्शी में अपने भाई के जूते की दुकान पर काम किया. उन्होंने मुंबई में एक रिश्तेदार के पोल्ट्री पर भी काम किया. लेकिन वह वहां भी खुश नहीं था. 1993 में वे पुणे आए. वजह थी भाई की टीसी लाना. एक भाई डेक्कन के एक होटल में काम कर रहा था जबकि दूसरा पढ़ रहा था.
बड़े भाई ने सरसबाग में वेटर की नौकरी दिलवाई. रमेश को कुछ नहीं आता था. तो मालिक ने उन्हें बर्तन धोने का काम दिया. लेकिन उन्हें बहुत बुरा लगा. वह गांव में बेहतर कमाई कर रहा था. लेकिन उन्हें लगा कि जीवन में आगे बढ़ने के लिए उन्हें कुछ करना ही होगा. बाद में वह अलग-अलग जगहों पर वेटर का काम करने लगा. वह धीरे-धीरे वेटर बन गया. फिर होटल में खाना बनाना शुरू किया. इसी दौरान उसने एक दोस्त को रहने के लिए जगह दी. उसे नौकरी दी.
वह दोस्त अच्छा सेट था. उसने रमेश को मार्केटिंग की जानकारी दी. इसमें पैसा लगाने को कहा. रमेश ने भी 50,000 रुपये का निवेश किया. यह सच था कि वह बाद में अच्छा मुनाफा कमा रहा था, लेकिन उसके दोस्त ने उसे अपना खुद का व्यवसाय शुरू करने के लिए कहा और उसे नौकरी दे दी. बाद में उन्हें 2 लाख का नुकसान हुआ क्योंकि उन्हें इसके बारे में पता नहीं था. उन्होंने फिर से कड़ी मेहनत करने का फैसला किया. नुकसान उठाना पड़ा. अचानक ऑफिस में टाई पहने हुए वेटर और रमेश वापस जीरो पर आ गए और उन्हें फिर से होटल में काम करने में शर्म आ रही थी. फिर रात में ढोले पाटिल रोड पर एक ढाबे पर नौकरी शुरू की.
रातमे 3 बजे जब होटल बंद होता तो सुबह 10 बजे तक रिक्शा चलाता और फिर सोने के लिए घर चला जाता. जिद से स्थिति पर काबू पा लिया. दोस्त ने लुल्लानगर में ठेला शुरू किया था लेकिन उसे वह जमा नहीं. उसने रमेश से ठेला चलाने को कहा. एक ठेले का किराया 100 रु. था. हालाँकि कुछ प्रॉफिट नहीं हो रहा था, फिरभी उसने ठेला चलाया. बाद में उसने ठेला बंद किया. रमेश वंजले के होटल में दोबारा काम किया. इसी बीच शादी भी हो गई. वंजले का होटल बिजनेस बहुत अच्छा चलाया. उन्होंने शादी के लिए 25,000 की मदद की. बाद में उन्होंने नौकरी छोड़ दी.
उसके गले की चैन बेचकर रुपये लौटा दिए. उसने एक ठेला खरीदा. उसने फिर से अपना ठेला शुरू किया. अब नए जोश के साथ काम किया. उन्होंने अपने लिए कड़ी मेहनत की और व्यवसाय बढ़ गया. ठेला बहुत अच्छा चला. इसके बाद लड़की हुई. उसका नाम सपना रखाथा. वह ठेला का नाम था. बाद में व्यापार बहुत बढ़ गया.
उस समय रमेश के तीन सपने थे. एक रहने के लिए एक फ्लैट, अपना होटल और एक कार. ये सारे सपने जल्द ही रमेश की मेहनत से सच हो गए और आज वह सपना पावभाजी होटल के मालिक हैं. यह होटल आज बहुत प्रसिद्ध है और लोग यहां पावभाजी खाने के लिए वेटिंग में रुकते हैं. जहा वो ठेला लगाते थे आज वही उनका होटल है और लोगों ने उस चौक का नाम सपना पावभाजी चौक रख दिया है.