मजदुर पिता के सर पर था कर्जा, नौकरी भी नहीं मिली; आज खड़ी कि 70 हजार करोड़ रुपये की कंपनी

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आज हम आपको उस शख्स की कहानी बता रहे है जिसकी कंपनी का मार्केट कैपिटलाइजेशन अभी लगभग 10 अरब डॉलर यानी 70 हजार करोड़ रुपए से भी ज्यादा पर पहुंच चूका है. देश में बने क्रिप्टोकरेंसी प्रोटोकॉल, पोलीगोन के को-फाउंडर और सीईओ जयंत कनानी का बचपन बहुत ही ज्यादा कठिनाइयों से बीता है.

जयंत कनानी गुजरात में अहमदाबाद के बाहरी इलाके में रहने वाले है और उनके पीता डायमंड फैक्टरी में वर्कर का काम करते थे. जयंत कनानी एक बहुत ही अच्छी नौकरी करना चाहते थे जिस की मदद से वे अपने पिता का सारा कर्ज उतार सकें, मगर जयंत कनानी की किस्मत में इससे बहुत ही ज्यादा था.

फर्म के लिए शुरुआत में इनवेस्टर मिलना काफी मुश्किल था

जयंत कनानी ने यह बताया है कि साल 2017 में वे हाउसिंग डॉटकॉम में नौकरी किया करते थे. और जयंत कनानी ने यह देखा की एथेरियम के ब्लॉकचेन पर बहुत ही भारी लोड है और फिर यह देखने के बाद साल 2017 के अंत में मैटिक की शुरुआत कर दी थी.

और उन्होंने यह भी कहा है कि कोई भी बड़े इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट से नहीं होने की वजह से शुरुआत में उनकी इस फर्म के लिए कोई भी इनवेस्टर नहीं मिल रहा था. फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी और आज के समय में उनके पास फंडिंग की कोई भी कमी नहीं है.

सस्ती और जल्द से जल्द ट्रांजैक्शंस उपलब्ध कराना

इस कंपनी की शुरुआत संदीप नेलवाल, जयंत कनानी, और अनुराग अर्जुन ने साल 2017 में मेटिक नेटवर्क के तौर पर करी थी और फिर बाद में जयंत कनानी के साथ सर्बिया के इंजीनियर मिहालियो जेलिक को-फाउंडर के तौर पर जुड़ गए थे.

और ये फर्म तब काफी चर्चा में आ गई थी जब बिलिनेयर मार्क क्यूबन के इस फार्म में इनवेस्टमेंट की घोषणा हो गई थी. और इस फर्म का महत्वपूर्ण लक्ष्य इथेरियम ब्लॉकचेन पर बहुत ही जल्द और काफी सस्ते में ट्रांजैक्शंस उपलब्ध कराना है.

कंपनी का प्रॉडक्ट मार्केट की जरूरत के अनुसार

जयंत कनानी ने पोलीगोन के लिए योजना और मार्क क्यूबन के इनवेस्टमेंट पर इस कंपनी के फाउंडर्स के साथ बातचीत भी करी. जयंत कनानी ने यह बताया है कि इनकी इस फर्म में इनवेस्टमेंट करने से पहले मार्क क्यूबन इसके एक यूजर ही थे. इसी वजह से हमने उनसे पूछा था कि क्या वे इस फार्म में इनवेस्ट करना चाहेंगे और वे तैयार हो गए था.

संदीप नेलवाल ने भी यह कहा है कि कुछ एनएफटी को पोलीगोन पर बने हुए डैप्स के इस्तेमाल से अच्छी तरह से तैयार करा जा चूका है. और इससे यह पता चल जाता है कि फर्म का प्रॉडक्ट मार्केट की जरूरत के मुताबिक ही है.

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