लाखो के पैकेज वाली एमएनसी की छोड़ दी थी नौकरी, शुरू करी खेती, आज कमाई है करोड़ों में

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ऐसा बिलकुल भी नहीं है कि खेती केवल घाटे का ही सौदा है. ऐसे एक नहीं बल्कि कई उदाहरण हैं जिनमें किसानों ने ही नहीं बल्कि विदेशों में जमे हुए कारोबार को तिलांजलि देकर खेती में कामयाबी हासिल करी है.

मेरठ के अजय त्यागी ऐसे ही एक प्रगतिशील किसान रहे हैं. अजय तालीमयाफ्ता एक युवक है और गुरुग्राम स्थित विश्व की प्रतिष्ठित बहुराष्ट्रीय कंपनी आईबीएम में पिछले लगभग 16 वर्षों से कार्यरत थे. उन्होंने पूरी कंपनी में एक अलग मुकाम को हासिल करा है.

अजय ने बताया कि उन्होंने एमसीए की पढ़ाई पूरी करी और उनके करियर की शुरुआत एक अच्छी एमएनसी कंपनी से हुई थी. वे लगातार आगे की ओर बढ़ रहे थे, मगर कुछ ऐसा था जो उन्हें रोक रहा था. और अंत में उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी और अपने मन की आवाज सुनी और अपने गांव वापस चले गए.

परिवार को बताया तो सब रह गए थे हैरान

अजय ने बताया कि उनके चाचा गांव में खेतीबाड़ी संभालते होते हैं और देश में किसानों की स्थिति अच्छी बिलकुल भी नहीं है. इस वजह से उन्होंने अपनी शिक्षा और नौकरी के दौरान जो कुछ भी सीखा था, जब वह अपनी नौकरी छोड़कर वापस गांव में आए, तो उन्होंने अपने परिवार के सदस्यों को खेती करने का फैसला सुनाया. इस बात पर उनके परिवार वाले भड़क गए.

मगर अजय अपने निर्णेय पर अड़े रहे. फिर उन्होंने प्रगतिशील किसानों से बात करना शुरू करा. कृषि वैज्ञानिकों से मुलाकात करी और अंत में जैविक खेती करने का मन बना लिया. इसके लिए अजय ने गाजियाबाद स्थित नेशनल सेंटर फॉर ऑर्गेनिक फार्मिंग से संपर्क भी करा.

अजय का कहना है कि उन्होंने जैविक केंद्र के वैज्ञानिकों के साथ खेती की हर तकनीक का बहुत ही गहराई से सीखा. उन्होंने प्रमाणीकरण से लेकर बाजार तक जैविक उत्पादों के उत्पादन का प्रशिक्षण लिया.

खुद की कंपनी की करी शुरुआत

सबसे पहले अजय ने ‘कार्बनिक मिडोज प्राइवेट लिमिटेड’ नाम की कंपनी की शुरुआत करी और अपनी जमीन लीज पर लेकर काम शुरू कर दिया. अजय बताते हैं कि किसान मेहनत करके खेती करता है, मगर वह कभी भी खेती की कीमत में अपनी मेहनत और जमीन का मूल्यांकन बिलकुल भी नहीं करते हैं. इस वजह से कृषि से होने वाले लाभ-हानि का उचित आकलन नहीं हो पाता है.

नए सिरे से तैयार करा खेत

अजय बताते हैं कि कृषि में रसायनों के उपयोग के कारण मिट्टी को नए सिरे से तैयार करना पड़ा था. इसके लिए उन्होंने लगातार 6 महीने तक मिट्टी को ऑर्गेनिक सप्लीमेंट दिए और इसके लिए वह समय पर वैज्ञानिकों से मिट्टी की जांच कराते थे. जब उनके खेत की मिट्टी नए सिरे से तैयार हो चुकी थी तो फिर उन्होंने उससे उत्पादन लेना शुरू कर दिया.

खुद के साथ किसानों को भी कराया फायदा

अजय बताते हैं कि व्यवसायिक तरीके से खेती करके उन्होंने शुरू से ही मुनाफा कमाना शुरू कर दिया था और इनसे जुड़े किसानों को भी अच्छा लाभ मिलने लगा. साधारण गेहूं जो बाजार में 1500 रुपये प्रति क्विंटल बिक रहा है, जैविक गेहूं का भाव 2000-2200 रुपये प्रति क्विंटल है. आज उनकी इकाई में 700 से अधिक उत्पादों का निर्माण किया जा रहा है. अजय त्यागी ने अपने दम पर यह मुकाम हासिल करा है.

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