…सड़क न हुई तो मूंछें हटा दूंगा; धीरूभाई अंबानी के साथ नितिन गडकरी का किस्सा

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केन्‍द्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री और भाजपा के पूर्व अध्यक्ष नितिन गडकरी को भारत के रोडमैन के रूप में जाना जाता है. नितिन गडकरी के कार्यकाल में देश में रिकॉर्डब्रेक सड़कों का निर्माण हो रहा है. नितिन गडकरी तेजी से देश भर में अच्छी सड़कों के नेटवर्क बना रहे हैं. पिछले वित्त वर्ष में 26.11 किलोमीटर की रफ्तार से देश में करीब 7573 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण किया गया है. नितिन गडकरी अब न केवल सड़कों के निर्माण के लिए प्रसिद्ध हैं बल्कि 1995 में महाराष्ट्र राज्य में मंत्री रहने के बाद से ही प्रसिद्ध हैं.

प्रसिद्ध मुंबई-पुणे एक्सप्रेस वे नितिन गडकरी के कार्यकाल के दौरान बनाया गया था. नितिन गडकरी की खासियत यह है कि वह सड़क बनाने के लिए पैसे कैसे बचाये यह वो देखते है और कम से कम पैसो में कैसेबनाये यह देखते हैं. एक मौके पर तो उन्होंने धीरूभाई अंबानी से पंगा लिया था. उन्होंने धीरूभाई को अपनी मूंछें हताहूँगा ऐसा चॅलेंज दिया था. आइए जानें क्या है पूरी कहानी.

धीरूभाई अंबानी बहुत बड़े उद्यमी थे. उस समय महाराष्ट्र राज्य में भाजप सेना गठबंधन की सरकार थी. सड़क निर्माण के लिए टेंडर जारी हुआ था. धीरूभाई ने सबसे कम 3600 करोड़ रुपये का टेंडर जमा किया था. लेकिन नितिन गडकरी का मानना ​​था कि 2,000 करोड़ रुपये की लागत से सड़क बनकर तैयार हो जाएगी. लेकिन सबसे कम टेंडर 3600 करोड़ रुपये का था. इसलिए कैबिनेट में सहयोगियों ने कहा कि जिनका कम टेंडर है उन्हें वह मिलना चाहिए. इस बारे में गडकरी ने उपमुख्यमंत्री मुंडे को बताया. उन्होंने कहा कि 2000 करोड़ रुपये के काम के लिए 3600 करोड़ रुपये बहुत ज्यादा है. निविदा निरस्त करने का सुझाव दिया.

लेकिन उस समय धीरूभाई का बहुत प्रभाव था. लेकिन गडकरी ने मुख्यमंत्री मनोहर जोशी और मुंडे को मना लिया कि वह सस्ती सड़क बनाने के लिए मार्ग निकलेंगे. उस समय सरकार के पास इतना पैसा नहीं था. तो जोशी ने पूछा कि पैसा कहां से आएगा. गडकरी ने कहा मुझ पर भरोसा करें मैं इंतजाम करूंगा. मुख्यमंत्री जोशी ने यह मानते हुए कि गडकरी कुछ भी कर सकते हैं, निविदा खारिज कर दी.

धीरूभाई के बालासाहेब ठाकरे और प्रमोद महाजन के साथ बहुत अच्छे संबंध थे. टेंडर खारिज होने से धीरूभाई नाराज हो गए. उन्होंने नाराजगी भी जताई. प्रमोद महाजन ने नितिन गडकरी से कहा कि जाकर धीरूभाई से मिलो और समझाओ. एक दिन नितिन गडकरी धीरूभाई से मिलने गए. अनिल, मुकेश, धीरूभाई और गडकरी ने एक साथ भोजन किया. खाना खाते समय धीरूभाई ने नितिन से पूछा कि सड़क कैसे बनाओगे ? टेंडर तो रिजेक्ट करदिया. अब क्या होगा.

बोलते हुए धीरूभाई ने नितिन गडकरी को एक प्रकार से चुनौती दी. उन्होंने कहा कि मैंने बहुत देखे है ऐसे बनानेवाले लेकिन कुछ नहीं होगा. नितिन गडकरी को वो शब्द चुभे. नितिन ने कहा, “धीरूभाई, अगर मैं यह सड़क नहीं बनाऊंगा, तो यह मेरी मूंछें काट दूंगा .” यह भी पूछा कि अगर यह बन गया तो आप क्या करेंगे. उनकी बैठक समाप्त हो गई. गडकरी समझाने गए थे और चुनौती देकर और नाराज कर के आ गए.

नितिन गडकरी ने उस समय राज्य में महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम की स्थापना की थी. सवाल यह था कि पैसा कहां से आएगा. नितिन गडकरी ने पैसे के लिए कई कंपनियों को प्रस्ताव भेजे. उस सड़क के लिए पैसे मिल गए. मनोहर जोशी और गोपीनाथ मुंडे की मदद से और इंजीनियर मुंगीरवार की देखरेख में काम शुरू हुआ. वह काम नितिन गडकरी ने 2000 करोड़ से भी कम में पूरा किया .

धीरूभाई ने एक दिन हेलिकॉप्टर से सड़क देखी. उन्होंने तुरंत नितिन गडकरी को मिलने के लिए बुलाया. वे फिर से मेकर चैंबर में मिले. जब वे मिले तो धीरूभाई ने कहा, “नितिन, मैं हार गया, तुम जीत गए.” तुमने कर दिखाया और सड़क हो गई. धीरूभाई ने नितिन गडकरी से कहा कि अगर देश में आप जैसे 4-5 लोग होंगे तो देश की किस्मत बदल जाएगी. सरकारी पैसे बचाने के लिए धीरूभाई जैसे बड़े आदमी से सिर्फ नितिन गडकरी ही उलझ सकते हैं. नितिन गडकरी के काम को सलाम.

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