इंसान का जीवन कितना संघर्षपूर्ण हो सकता है इसका अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता. इसलिए आज हम आपको संघर्ष की एक ऐसी कहानी से रूबरू कराने वाले हैं जिसके बारे में जान कर आप चकित हो जाएंगे कि जब जिंदगी मोड़ लेती है तो किस प्रकार ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है जिनके बारे में व्यक्ति कभी सपने में भी नहीं सोच सकता.
आज हम जिस महिला की कहानी आपको बताने वाले हैं उनका नाम उर्वशी यादव है जो एक पढ़ी लिखी महिला है. उर्वशी की शादी कुछ समय पहले एक अच्छे और अमीर परिवार में हुई थी उनके पति अमित यादव एक कंस्ट्रक्शन कंपनी में बढ़िया पोस्ट पर काम करते थे इसके साथ उनके परिवार का रहन सहन काफी अमीरों वाला था.
उर्वशी के परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद मजबूत थी लेकिन उनकी जिंदगी में अचानक से एक ऐसा मोड़ आया जिसने उर्वशी को ऐसी स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया कि उर्वशी को सड़क के किनारे छोले कुलचे का ठेला लगाना पड़ा.
दरअसल हुआ कुछ ऐसा कि उर्वशी के पति अमित यादव के साथ एक एक्सीडेंट हुआ जिसमे उनको कई गंभीर चोट आए उन्हें लंबे समय तक बिस्तर पर रहना पड़ा. उर्वशी के पति अमित यादव उनके परिवार में इकलौते कमाने वाले शख्स थे और अब उनके साथ हुए हादसे के बाद उर्वशी के परिवार की हालत बेहद खस्ता होने लगी.
इलाज में सारी जमा पूंजी लगाने के बाद भी उर्वशी के पति की हालत में कोई खास सुधार देखने को नहीं मिला और अब पूरे परिवार की हालत ऐसी हो गई थी कि दो वक्त की रोटी के लिए भी लोगों से उधार लेना पड़ रहा था.
ऐसे में उर्वशी ने बाहर निकल कर काम करने का फैसला किया और नौकरी की तलाश शुरू कर दी लेकिन लंबे समय तक नौकरी तलाशने के बाद भी जब उन्हें कोई काम नहीं मिला तो उन्होंने रोड के किनारे छोले कुलचे का ठेला लगाने का निर्णय लिया.
बड़ी-बड़ी गाड़ी में घूमने वाली और बड़े ही ऐशो आराम की जिंदगी जीने वाली उर्वशी के लिए सड़क के किनारे ठेला लगाने का यह फैसला मुश्किल तो था ही लेकिन उससे मुश्किल बात यह थी कि वह अपने परिवार को इस काम के लिए मना पाए और हुआ भी ठीक वैसा ही क्योंकि उनके पूरे परिवार ने उनके इस फैसले पर आपत्ति जताते हुए उन्हें ऐसा करने से मना कर दिया.
लेकिन उर्वशी ने ठान लिया था कि उन्हें अपने परिवार को इस आर्थिक संकट से उभारना है और अपनी इसी मंशा के साथ उन्होंने गुरुग्राम सेक्टर 14 में एक सड़क के किनारे छोले कुलचे का ठेला लगाना स्टार्ट किया.
उर्वशी के इस काम में उन्हें शुरुआत में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा लेकिन धीरे-धीरे उनका यह काम चल पड़ा और उनके ठेले ने आसपास के इलाके में एक खास पहचान बना ली जिसके बाद उर्वशी ने ठीक-ठाक आमदनी अर्जित करना शुरू कर दिया.
धीरे-धीरे उर्वशी की जी तोड़ मेहनत के बाद उनका छोले कुलचे का ठेला आसपास काफी मशहूर हो गया और अब धीरे-धीरे उनके पति की हालत भी सुधरने लगी. हालत में पूरी तरह से सुधार होने के बाद अब उर्वशी एवं उनके पति दोनों साथ में मिलकर एक रेस्टोरेंट चलाते हैं जिसकी शुरुआत एक ठेले से हुई थी.