ऐसा कहा जाता हैं कि फर्क नजर में नहीं नजरिये में होना चाहिए. आपका नजरिया आपसे कुछ अलग करवा सकता है. जिस तरह की बंदना जैन के साथ हुआ. बंदना जैन ने जेजे स्कूल ऑफ़ आर्ट्स से अपनी पढ़ाई पूरी करी है और डिग्री के आखिरी साल में बंदना जैन को अपना प्रोजेक्ट बनाना था.
तो, वह अपने लिए कुछ प्रेरणा ढूंढ रही थी. और उन्होंने परिसर में एक जगह पर एक कार्डबोर्ड (गत्ता) दिखा. वह कहती हैं कि कार्डबोर्ड की आकर्षक बनावट को देखकर उन्हें लगा कि वह इसका इस्तेमाल कर सकती हैं.
इसके तुरंत बाद, बंदना ने अपने कुछ प्रोजेक्ट कार्डबोर्ड से किए. और यह देखते ही उनकी कला प्रसिद्ध हो गई अपने ब्रांड के तहत वह कार्डबोर्ड से लोगों के लिए खास फर्नीचर और कलाकृतियां बना रही हैं.
अपने घर के लिए डिज़ाइन करा था फर्नीचर
जब बंदना ने अपना घर खरीदा था तो फिर बंदना ने इस घर को सजाने की जिम्मेदारी ली. वह बताती हैं कि उन्होंने विभिन्न प्रकार के रॉ मटीरियल का उपयोग करके चीजें बनाईं और इसमें पुनर्नवीनीकरण कार्डबोर्ड से बनी कुर्सी भी शामिल है.
“कार्डबोर्ड के साथ काम करना बंदना के लिए आसान बिलकुल भी नहीं था. मुझे बहुत बार तो चोट भी लगी, क्योंकि इसे काटने के लिए किन औजारों का प्रयोग करना है, मुझे इस बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी.
मैंने एक दोस्त की मदद से घर के लिए सोफा भी बनाया और हम आज भी इसका उपयोग कर रहे हैं,” उन्होंने कहा. सोफा अच्छी तरह से बनाने के बाद बंदना का आत्मविश्वास बढ़ने लगा और वे इससे और भी बहुत कुछ बनाने लगे.
मजबूत फर्नीचर बनाती है कार्डबोर्ड से
बंदना का कहना है कि 2013 में उन्होंने महज 13000 रुपये के निवेश से अपना स्टूडियो शुरू करा था. वह कुर्सियों, मेजों और सोफे आदि बनाने और कलाकृतियाँ बनाने के लिए भी कार्डबोर्ड का उपयोग कर रही है. धीरे-धीरे निश्चित रूप से उन्होंने अपने काम को एक ब्रांड बना लिया है.
पहले वह अपने स्टूडियो के तहत काम कर रही थी, मगर अब वह अपने लेबल ‘बंदना जैन’ के तहत उत्पाद बनाती है.
बंदना आगे कहती हैं कि कोरोना महामारी का असर हर जगह रहा है. लेकिन इस दौरान उन्हें कुछ समय रूककर और सोचने-समझने का मौका भी मिला. अब वह अपने पर्सनल प्रोजेक्ट्स पर काम कर रही हैं. पहले इनके उत्पाद हजारों में बिकते थे लेकिन अब इनके एक ही उत्पाद की कीमत लाखों में है.