आज की दुनिया में लैंगिक समानता को एक बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दा माना जाता है. इसके लिए कई तरह से प्रयास किए जा रहे हैं. लेकिन आज भी कई ऐसे बिजनेस हैं जिन्हें महिलाएं करने को कतराती हैं. ऐसे कई काम हैं जिनमें पुरुषों का दबदबा है और महिलाएं इनसे बचती हैं. लेकिन आज हम एक ऐसी रणरागिनी से मिलने जा रहे हैं जिसने पुरुषों के नाम से जाने जाने वाले कारोबार में अपनी अलग पहचान बनाई है. पुणे में इस कारोबार में करीब 500 पुरुष काम करते होंगे. लेकिन इसमें वह अकेली महिला हैं. उसने न केवल इस पुरुषों के व्यवसाय को चुना है, बल्कि वह इसमें सफल भी हुई है. क्योंकि आज इसका टर्नओवर 1.5 करोड़ रुपये है.
इस महिला का नाम श्रद्धा थोरात है. श्रद्धा पुणे के पाषाण की रहने वाली हैं. उनका बचपन पाषाण में बीता. शिक्षा भी पुणे में हुई. उनका बचपन एक अच्छे परिवार में बीता. माता-पिता, छोटी बहनों और भाइयों के साथ एक छोटा परिवार. पिता का व्यवसाय था जबकि माता गृहिणी थीं. उसकी शिक्षा बहुत मौज मस्ती के साथ पूरी हुई. वह पढ़ाई में भी होशियार थी. वह 10वीं में प्रथम आई थी. इसके बाद कॉमर्स लिया. वह सीए बनना चाहती थी. लेकिन उसका सपना अचानक पीछे छुट गया. क्योंकि अचानक पिता की मां की तबीयत खराब हो गई. दादी की इच्छा थी कि उनकी पोती की शादी उनकी आंखों के सामने हो.
पिता ने भी तुरंत श्रद्धा की शादी करने का फैसला किया. उसकी शादी एक रिश्तेदार के साथ तह हो गई. उसने शादी कर ली और कराड चली गई. लेकिन उनकी शिक्षा की अनुमति उनके ससुर ने दी थी. उन्होंने बाहर से परीक्षा देकर कॉलेज की शुरुआत की. उनका एक किसान परिवार था. तो कोई अलग आय नहीं थी. उसने मदद के लिए सिलाई काम भी शुरू कर दिया. लेकिन ज्यादा पैसे नहीं मिल रहे थे. फिर उसने नौकरी के बारे में सोचा. फैशन डिजाइनिंग का कोर्स चालू किया. उसको भी अच्छा रिस्पॉन्स नहीं आया. इस बीच वह गर्भवती भी थी.
फिर जब डिलीवरी के लिए पुणे आई तो उन्होंने यहां नौकरी के बारे में सोचा. हालांकि, उनके माता-पिता ने नौकरी लेने से इनकार कर दिया. फिर उसने अपने पति से बात की और उन्हें पुणे आने के लिए तैयार किया. परिवार पुणे आया. पति को नौकरी मिल गई. श्रद्धा बाद में एक कंप्यूटर इन्स्टिट्यूट में शामिल हो गईं. वहां उन्हें एक हजार रुपये वेतन मिलता था. उनका परिवार पुणे में 10 गुणा 10 के एक कमरे में रहता था. 6 महीने बाद फिर नौकरी बदली. बाद में उन्होंने सरकार द्वारा चलाए जा रहे एक कंप्यूटर कोर्स में शिक्षिका के रूप में काम करना शुरू किया. एक संस्था ने उन्हें यह काम दिया था.
इस नौकरी में अधिक समय और कम पैसे के बजह से उसने नौकरी बदलने का फैसला किया और एक कूरियर कंपनी में शामिल हो गई. उसने ऐसी कई कंपनियों को बदला. वह अकाउंट में काम करना चाहती थी लेकिन उसे जॉब नहीं मिल रहा था. चतुःशृंगी एरिया में 2 साल तक एक सर्विस सेंटर में काम किया. वहां भी बहुत मेहनत की, लेकिन अच्छा वेतन नहीं मिला. वेतन नहीं बढ़ रहा था. बाद में 2012 में उन्होंने अपनी बचत और गहने बेचकर एक फ्लैट बुक किया.
जिस कंपनी में उसने अपना आखिरी काम किया था, वह उस पर लेटकमिंग चार्ज लगाया जाता था. तभी उसने अपनी कंपनी शुरू करने का फैसला किया. उसने सिर्फ एक व्यवसाय चलाने के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी. उसने व्यावसायिक अनुभव के लिए विभिन्न क्षेत्रों में काम किया और इसके बारे में सीखा. उसके पास कंप्यूटर इंस्टिट्यूट, हाउसकीपिंग कंपनी, रियल एस्टेट जैसे कई विकल्प थे. नौकरी के दौरान उसने जो FD की थी. बहुत सोचने के बाद, उसने अपने पति की सलाह से सेकंड हैंड कार के व्यवसाय में जाने का फैसला किया. इस व्यवसाय के लिए पूंजी की आवश्यकता थी.
उन्होंने गांव के खेतों और गहनों पर कर्ज लेकर पूंजी जुटाई. शुरुआत बहुत कठिन थी. शुरुआत में उन्होंने एक छोटी सी जगह से कारोबार शुरू किया. 10 महीने बाद उस जगह को छोड़ना पड़ा. जो बिजनेस अच्छा चल रहा था वह फिर ज़ीरो पर आगया. खर्चा भी नहीं निकला था. फिर उसने पास के एक स्थान पर कारोबार फिर से शुरू किया. उन्होंने इस समय पहले ही जगह का 7 साल के समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. लेकिन 2 महीने बाद फिर से जगह छोड़नी पड़ी. मालिक से विवाद के चलते जमीन खाली करनी पड़ी.
उसने अपनी जगह लेने की भी कोशिश की लेकिन पूंजी के कारण यह संभव नहीं हो सका. फिर से नई जगह से काम शुरू किया. पति ने पुरजोर समर्थन किया. आज उनके शोरूम में महीने में 35-40 कारें बिकती हैं. सालाना टर्नओवर की बात करें तो आज उनका टर्नओवर 1.5 करोड़ रुपये है. श्रद्धा को 17 साल की उम्र में शादी करने और इतना संघर्ष करने के बाद जो सफलता मिली है, वह वाकई में प्रेरणादायक है.