किसी दूसरे शहर में घूमने गए पर्यटक को यदि वहां ठहरने के लिए मुश्किल आए या कोई अच्छी जगह न मिले तो फिर सारा मजा किरकिरा हो सकता है. आज तमाम होटल एग्रीगेटर कंपनियां पर्यटकों की इस मुश्किल को आसान बना रही हैं. ऐसी ही एक भारतीय कंपनी है ओयो होटल्स, जिसकी नींव एक युवा भारतीय रितेश अग्रवाल ने महज 17 साल की उम्र में रखी थी. बचपन से ही कुछ करने की ठान लेने वाले इस युवा उद्यमी ने इतनी कम उम्र में रख दी थी ओयो होटल्स की नींव, जब अधिकांश युवा अपने करियर के बारे में कोई निर्णय भी नहीं ले पाते हैं
इस तरह आया था होटल एग्रीगेटर का आइडिया
रितेश ने एक बार बताया था कि जब वह 12 साल के थे, तब वे पहली बार किसी होटल में रुके थे. वो भी एक स्कूल प्रेजेंटेशन के लिए और उसके बाद वे देश के अलग-अलग हिस्सों के होटलों और गेस्ट हाउस में कई बार रुके, जहां उन्हें बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ा. उनके मन में यह विचार आया कि क्यों न कुछ ऐसा करा जाए जिससे लोग घर बैठे सस्ते होटल ढूंढ सकें और इसकी साफ-सफाई से लेकर हर तरह की सुविधा और कीमत की जानकारी मोबाइल पर ही ले सके.
स्कूल छोड़ शुरू कर दिया था स्टार्टअप
उन्होंने साल अपना स्कूल छोड़ दिया और 2011 में 17 साल की उम्र में उन्होंने ओरैवेल स्टेयज नाम से एक स्टार्टअप शुरू करा. जो साल 2013 में ओयो होटल्स एंड होम्स के नाम मशहूर हुआ. यह होटल चेन रातोंरात दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा एग्रीगेटर ब्रांड नहीं बना, बल्कि इसको सफल बनाने के पीछे समर्पण और मेहनत का वह रंग है, जो आज की सफलता की चकाचौंध में किसी ने नहीं देखा है.
इस स्टार्टअप के भारत में लॉन्च होने के एक दशक के भीतर ही ओयो ने 80 देशों के 800 शहरों में अपनी सेवाएं दी हैं. वर्ष 2018 में भी पहली बार इस कंपनी ने देश की सीमाओं से बाहर कदम रखा था और इस कंपनी का मलेशिया से शुरू हुआ ये सफर आज के समय में दुबई, चीन, सिंगापुर, इंडोनेशिया समेत तमाम बड़े देशों में फैल गया है. आज के समय में इसके 43 हजार से ज्यादा होटलों में करीब 10 लाख कमरे हैं. आज के समय में उनकी यह कंपनी करीब 5 अरब डॉलर की बन चुकी है.