2 दोस्तों ने मिलकर 2014 में शुरू किया था बिजनेस, आज है 90 करोड़ रुपये की कंपनी के मालिक

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इंसान की किस्मत कब किस तरह बदल जाए इसके बारे में कुछ भी कहा नहीं जा सकता. इंसान अपनी मेहनत और लगन के दम पर मुश्किल से मुश्किल काम भी आसानी से कर सकता है. इस बात को सही साबित कर दिखाया है तकनीक से अपनी किस्मत चमकाने वाले चिन्मय अग्रवाल और समर सिंगला ने. दोनों ने मिलकर जुगनू ऐप को अपनी लगन और मेहनत के दम पर बनाया है.

जुगनू ऐप की मदद से आसानी से कर सकते है ऑटो का सफर
एक वक्त ऐसा था जब गाजियाबाद से नोएडा में जाना बहुत मुश्किल था. मगर आज जुगनू ऐप के जरिए ऑटो से आने-जाने की सुविधा बहुत ही ज्यादा आसान हो चुकी है. यदी आप गाजियाबाद से नोएडा जाना चाहते हैं, तो फिर ऑटो सबसे सुविधाजनक तरीका है. जुगनू ऐप की मदद से ऑटो को आसानी से बुलाया जा सकता है और तय किराए पर ही यात्रा पूरी कर सकते है.

इस तरह हुई थी शुरुआत
जुगनू ऐप को नवंबर 2014 में चंडीगढ़ से शुरू करा गया था. जुगनू ऐप को बनाने के पीछे दिल्ली के दो दोस्त चिन्मय अग्रवाल और समर सिंगला का दिमाग है. चिन्मय अग्रवाल और समर सिंगला ने आईआईटी दिल्ली के रोबोटिक्स क्लब में एक साथ पढ़ाई करी. दोनों ने मिलकर फूड डिलीवरी ऐप क्लिक लैब्स भी बनाया. वर्ष 2014 में समर और चिन्मय दोनों अपने पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज के सालाना फेस्टिवल में इन लैब्स को स्पॉन्सर करना चाहते थे.

चिन्मय ने एक ऐप तैयार करा जिसकी मदद से ऑटो रिक्शा को आसानी से बुलाया जा सकता था. पहले ही दिन इस ऐप को 90 सवारियां मिल गई थी. धीरे धीरे यह अप्प ऐप प्रसिद्ध होता गया. 3-4 महीने में ही 1000 से भी अधिक बार लोगों ने इसकी सवारी करी. अब बहुत से ऑटो चालक जुगनू ऐप आधारित ऑटो सेवा से जुड़ चुके हैं. भारत में लगभग 50 लाख ऑटोरिक्शा हैं, जो की हर रोज 46 करोड़ रुपये का कारोबार कर रहे हैं.

जूता चुके है 90 करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश
चिन्मय का कहना है कि शुरुआत में चुनौतियां कम बिलकुल भी नहीं थीं. मगर फिर ऐसे निवेशक थे जो कंपनी के विचार को जीवित रखना चाहते थे. इस स्टार्टअप को पहली बार बाहर का पैसा साल 2015 में मिला था. फिर उन्होंने इस पैसे का इस्तेमाल तकनीक को अपग्रेड करने में करा. आपको बता दे कि 3 दौर की फंडिंग के बाद यह स्टार्टअप अभी तक लगभग 90 करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश जुटा चूका है. आज देश के 39 शहरों में 85,000 से भी ज्यादा ऑटो रिक्शा जुगनू ऐप से जुड़े हुए हैं. इनमें से लगभग 15,000 ऑटो रिक्शा एक सप्ताह में संचालित होते हैं.

उनके पास लगभग 43 लाख से भी अधिक सवारियां हैं, यह कंपनी अपनी सर्विस से जुड़े हुए ऑटोवालों से 10 फीसदी कमीशन लेती होती है. जिससे की हर एक राइड के बाद कमीशन मिलता है. सामान के ऑनलाइन ऑर्डर की डिलीवरी पर भी इसी तरह का कमीशन होता है.

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