संजीव बरनवाल और विदित आत्रे दोनों ने आईआईटी दिल्ली से इंजीनियरिंग की पढ़ाई करी हुई हैं. उनके द्वारा बनाया गया मीशो ऐप आज दुनिया के 10 सबसे ज्यादा डाउनलोड किए जाने वाले ऐप में से एक है. इस ऐप के डाउनलोड की बात करें तो इस ऐप ने फेसबुक जैसे बड़े सोशल मीडिया ऐप को भी पीछे छोड़ दिया है तो आइए जानते हैं मीशो ऐप की सफलता की कहानी के बारे में.
इस तरह हुई थी मीशो की शुरुआत
विदित अत्रे और संजीव बरनवाल ने आईआईटी दिल्ली में एक साथ पढ़ाई की. विदित अत्रे साल 2015 में इनमोबी कंपनी में नौकरी करते थे. वहीं संजीव सोनी कंपनी में नौकरी करते होते थे. तभी दोनों ने कुछ करने का फैसला किया. इस वजह से दोनों ने अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया और साल 2015 में फ़ैशनियर ऐप बना डाला. इस ऐप की मदद से लोग अपने पास की दुकान से कोई भी सामान खरीद सकते थे. दोनों ने बहुत कोशिश करी लेकिन उनके ऐप का इस्तेमाल किसी ने नहीं करा.
नए आइडिया ने कर दिया कमाल
फिर उन्होंने ऐसा देखा कि कई दुकानदार अपने ग्राहकों को व्हाट्सएप ग्रुप से जोड़ रहे हैं और जब भी कोई नया प्रोडक्ट आता था तो दुकानदार उसे व्हाट्सएप के जरिए ग्राहकों को भेजते थे. जिससे दुकानदार को वहां से ही ऑर्डर मिल जाता था. देश के 50 करोड़ से भी ज्यादा लोग सोशल मीडिया का इस्तमाल करते हैं. उन्हें यह भी एहसास हुआ कि अगर वे उन्हें ई-कॉमर्स की ओर मोड़ सकते हैं, तो उनका काम हो सकता है. जिसके बाद उन्होंने ये फैशन बदला और मीशो को लॉन्च किया.
कमाई करने का साधन भी खरीद के साथ मिला
रीसेलर्स को मिला मीशो के जरिए कमाई का बेहतर विकल्प, जिसमें बड़ी संख्या में महिलाएं थीं. मीशो एक ऐसी जगह बन गई जहां प्रोडक्ट, पेमेंट कलेक्शन और मार्केटिंग टूल सभी एक साथ एक जगह पर आसानी से मिल जाते हैं. जैसे एक गृहिणी इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप की मदद से अपने ग्राहकों को मीशो का प्रोडक्ट कैटलॉग सरलता से दिखा सकती है और फिर वे वही से ही ऑर्डर प्राप्त करके मीशो के थोक विक्रेता से ऑर्डर भी आसानी से प्लेस कर सकती है और फिर उस समान को सीधे कस्टमर्स के घर तक भी भेज सकते है और इससे गृहिणी आसानी से 10 प्रतिशत से भी ज्यादा का कमिशन कमा सकती है.
आज बन चुकी है 35 हजार करोड़ की वैल्यूएशन वाली कंपनी
दोनों में पहली बार साल 2016 में करीब 2 करोड़ रुपये जुटाए गए. इसके बाद अब तक 6 राउंड की फंडिंग में कुल करीब 8,000 करोड़ रुपये जुटाए जा चुके हैं. मीशो ऐप की लॉन्चिंग के 6 साल के अंदर ही इसकी वैल्यूएशन 35,000 करोड़ रुपये के करीब पहुंच गई है.