3 दोस्त, एक जबरदस्त आइडिया, 14 बिजनेस में हुए थे फेल; आज खड़ी कि 4000 करोड़ रुपये की कंपनी

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किसी भी अन्य भाषा की तुलना में मातृभाषा अधिक महत्वपूर्ण है. भारत के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले लोग अपने राज्य की भाषा बोलने से सबसे अधिक संतुष्ट और खुश हैं. सोशल मीडिया की बात करें तो इस समय हमारे देश में अंग्रेजी ज्यादा प्रचलित है. लेकिन बदलती तकनीक के बदलते समीकरणों के बीच, ShareChat नाम का एक ऐप विकसित हुआ है जिसे क्षेत्रीय भाषाओं को ध्यान में रखकर बनाया गया है.

यहां शहरी लोग और ग्रामीण अपनी-अपनी भाषा में सामग्री साझा कर रहे हैं. जो लोग क्षेत्रीय भाषाओं का उपयोग करते हैं, उनके लिए शेयर चैट जैसा वरदान है. शेयर चैट के आविष्कारक लखनऊ के फरीद एहसान, गोरखपुर के भानु प्रताप सिंह और गाजियाबाद के अंकुश सचदेवा हैं जो आईआईटी, कानपुर के छात्र हैं.

2017 में अंकुश ने खास बातचीत में शेरचट की सफलता की कहानी साझा की, जो बेहद दिलचस्प है. इससे पहले तीनों दोस्त 13 अलग-अलग ऐप पर काम करते-करते थक चुके थे. आखिर में ‘ओपिनियन’ नाम का ऐप बनाया गया. यह बहस और गरमागरम चर्चा का एक मंच था जहां उपयोगकर्ताओं ने विभिन्न विषयों पर अपने विचार व्यक्त किए. 28 नवंबर 2014 को एक अजीब बात हुई.

ओपिनियन ऐप में चर्चा के दौरान एक यूजर ने सचिन तेंदुलकर के बारे में यह कहते हुए लिखा कि वह सचिन के पसंदीदा का व्हाट्सएप ग्रुप बना रहे हैं, फिर क्या हुआ, हजारों लोगों ने अपने फोन नंबर सार्वजनिक मंच पर पोस्ट करना शुरू कर दिया. अंकुश ने इन नंबरों में से 1000 नंबर लिए और तेंदुलकर के अलग-अलग नामों से 100-100 लोगों के 10 ग्रुप बनाए. उसके बाद हम 1 घंटे के लिए लंच करने चले गए.

अपना फोन वापस आते देख अंकुश हैरान रह गया. प्रत्येक समूह को 500 से 700 सुझाव प्राप्त हुए. उपयोगकर्ता एक दूसरे से वीडियो या ऑडियो के माध्यम से जानकारी का अनुरोध करते हैं. दूसरे व्यक्ति ने उसे देने का प्रयास किया. बिना किसी प्रयास के एक घंटे में 1000 लोगों के समूह पर बड़ा डेटा एकत्र किया गया. सबसे महत्वपूर्ण बात यह थी कि चर्चा अंग्रेजी में नहीं बल्कि स्थानीय भाषा में थी.

वहीं से शेयरचैट का आइडिया आया. अंकुश, भानु, फरीद ने क्षेत्रीय भाषाओं का उपयोग करते हुए शेयरचैट ऐप की शुरुआत की. पिछली 14 असफलताओं ने बड़ी सफलता का मार्ग प्रशस्त किया.

शेयरच्याट के वर्तमान में करोड़ों सक्रिय उपयोगकर्ता और 60 मिलियन मासिक सक्रिय उपयोगकर्ता हैं. अधिकांश उपयोगकर्ता 18 से 25 वर्ष के बीच के हैं. शेयरचैट में समाचार, चुटकुले, वीडियो, ज्योतिष, मनोरंजन, ढेर सारी जानकारियां शामिल हैं. व्हाट्सएप पर महज एक महीने में शेयरचैट के करीब 10 करोड़ शेयर शेयर किए गए. सबसे मजेदार बात यह है कि लोग शेयर चैट पर लाइव वीडियो भी शेयर करते हैं क्योंकि अंकुश ने हमें बताया कि बिहार बाढ़ के दौरान उन्हें कई वीडियो मिले जो सोशल मीडिया पर कहीं भी उपलब्ध नहीं थे.

आपकी जानकारी के लिए बता दे कि शेरेचैट अब तक 1500 करोड़ रुपये से ज्यादा जुटा चुका है और लगातार अपने कारोबार का विस्तार कर रहा है. फिलहाल कंपनी की वैल्यू 48 650 मिलियन यानी 4,800 करोड़ रुपये है.

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