5 रूपये के लिए हुआ था अपमान, 2 हजार कर्जा लेकर शुरू किया था काम, आज है लाखो का बिजनेस

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जीवन संकटों से भरा है. इन संकटो का सामना करने की शक्ति इंसान में होना बहुत जरुरी है. अगर जीवन में लगन और इच्छाशक्ति हो तो जीवन में कुछ भी मुश्किल नहीं है. लक्ष्य पाने के लिए यह चीजे बहुत जरुरी है. आज हम एक ऐसे योद्धा की कहानी देखने जा रहे हैं जिसका जीवन मुश्किलों से भरा रहा. लेकिन उसने सभी विपरीत परिस्थितियों को पार कर लिया और जीवन में बड़ी सफलता पाई. आज सोलापुर जिले की यह महिला लाखों के कारोबार की मालकिन है.

सोलापुर जिले के बार्सी उपलाई की स्वाति ठोंगे. माहेर का 52 लोगों का बड़ा परिवार है. स्वाति का बचपन बहुत स्नेह प्यार में गुजरा. पिता की कोई बहन नहीं थी इसलिए वह स्वाति को बहुत लाड़-प्यार करते थे. स्वाति स्कूल जाने लगी. दसवीं तक पढ़ाई होती थी. लेकिन परिवार वालों की राय थी कि लड़कियों को पढ़ाना नहीं चाहिए. स्वाति की पढ़ाई रुक गई. सीखकर व्यावसायिक बनने का सपना अधूरा लग रहा था.

2006 में उनके पिता ने स्वाति की शादी की. लेकिन 4 साल के भीतर उसके जीवन में संकटो का पहाड़ टुटा और उसके पति की मृत्यु हो गई. उस समय स्वाति की लड़की केवल साढ़े तीन महीने की थी और लड़का दो साल का. चूंकि माहेर का एक बड़ा परिवार था, वह चाहती थी कि उसके ससुर का ऐसा परिवार हो, लेकिन समय के साथ उसका परिवार का सपना टूट गया. पति जल्द ही चला गया. उसे परिवार के अन्य सदस्यों का समर्थन चाहिए था लेकिन नहीं मिला. ससुर ने मदद करने से इनकार कर दिया. तुम तुम्हारे बच्चो का देख लो ऐसा कहकर उसे अलग कर दिया.

पिता ने उनके घर आने के लिए कहा. लेकिन स्वाति ने मना कर दिया. उसने अपनी खुद की पहचान फिर से बनाने का फैसला किया. स्वाति रोज रात रोती थी. वह जानती थी कि रोने से कुछ होने वाला नहीं है. वह जानती थी कि बच्चों के लिए कुछ करना पड़ेगा. स्वाति को परिवार के सदस्यों से एक चौंकाने वाला अनुभव हुआ. स्वाति का बेटा चाचा से मिठाई के लिए रुपये मांगता था. उसके चाचा ने उस 5 रुपये के लिए समय-समय पर उसका अपमान किया.

स्वाति को स्थिति की जानकारी थी. वह जानती थी कि अगर यह 5 रुपये के लिए होता है तो भविष्य में कितनी समस्याएँ आतीं. स्वाति की सास ने उसे एक स्वयं सहायता समूह में जाकर काम करने की सलाह दी. परिवार विरोध कर रहा था. परिवार ने हमसे कहा कि अगर वह स्वयं सहायता समूह में जाना चाहते हैं तो हमसे दूर रहें. स्वाति ने भी एक साहसिक फैसला लिया कि बच्चों को फिर से किसी के पास पैसे मांगने जाना नहीं पड़े. स्वयं सहायता समूह में जाने का फैसला किया.

जब उन्होंने स्वयं सहायता समूह में काम करना शुरू किया तो उनका काम देखकर मार्केटिंग की जिम्मेदारी उन्हें मिल गई. यहां काम करते हुए स्वाति अभी भी अपना खुद का व्यवसाय शुरू करना चाहती थी. स्वाति सोलापुर में एक कृषि स्टाल में अपना स्टाल लगाना चाहती थी. इसके लिए उसके पास पैसे भी नहीं थे. माँ और पिताजी ने मदद की पेशकश की. लेकिन उसने मना कर दिया क्योंकि उसे मदद की आदत लग जाती. अंत में उसने मैडम से 2,000 रुपये उधार लिए और एक चाय की दुकान लगा दी. उसने इस 2,000 रुपये में से 7,000 रुपये कमाए. पहले व्यवसाय ने 5,000 रुपये का लाभ कमाया.

बाद में उन्हें एक स्वयं सहायता समूह द्वारा मुंबई भेजा गया. स्वाति बार्सी में 6 स्वयं सहायता समूहों की मार्गदर्शक थीं. स्वाति ने उन महिलाओं का सामान खरीदा जो मुंबई नहीं आ सकती थीं. उन्होंने उधार लिया क्योंकि उनके पास देने के लिए पैसे नहीं थे. उसने महिलाओं से 60,000 रुपये का सामान उधार लिया. उन्होंने कहा कि वह मुंबई से आने पर महिलाओं को भुगतान करेगी. मुंबई में स्वाति ने 1 लाख 20 हजार रुपये में सामान बेचा. इसके साथ ही स्वाति ने फिर से अपने अंदर की कारोबार की झलक दिखाई.

खुद का व्यापार करने की इच्छा अब शांत नहीं थी. मैडम के पास ऐसी इच्छा जाहिर की. स्वाति उड़द और शाबू पापड़ का बिजनेस करना चाहती थी. उसे बाजार की अच्छे से जान थी. उसे पता था की लोग क्या चाहते हैं. यह भी पता था की व्यवसाय हमेशा लाभदायक रहेगा. उन्होंने 2 महिलाओं के साथ उड़द और शाबू पापड़ का व्यवसाय शुरू किया स्वाति ने उन्हें पापड़ बनाना सिखाया.

स्वाति का समूह बाद में केरल चला गया. विभिन्न राज्यों के स्टॉल थे. स्वाति व 5 अन्य महिलाओं ने लगाया पूरनपोली स्टाल. 2 दिन तक कोई नहीं लौटा. स्वाति ने अंदाजा लगाया तो पता चला कि लोगों का झुकाव नॉन वेज की तरफ है. उन्होंने कोल्हापुरी ग्रेवी और मटन स्टॉल शुरू किया. 8 दिन में 1 लाख 60 हजार की कमाई की. केरल से आने के बाद स्वाति ने अपनी सहेली रोहिणी के साथ स्वदेशी मार्केटिंग कंपनी शुरू की.

स्वदेशी मार्केटिंग कंपनी केवल स्वयं सहायता समूहों से महिलाओं के सामान खरीदती है. इन वस्तुओं को बार्सी , सोलापुर, मुंबई, पुणे भेज दिया जाता है. स्वाति के माध्यम से कई महिलाएं अब घर से 25,000 रुपये से 30,000 रुपये प्रति माह कमा रही हैं. उनका कहना है कि महिलाएं अगर ठान लें तो खुद का बिजनेस चलाकर खूब पैसा कमा सकती हैं. 2,000 रुपये के ऋण के साथ अपना पहला व्यवसाय शुरू करने वाली स्वाति अब 50,000 रुपये प्रति माह से अधिक कमा रही है. इसके अलावा उनके पूरे कारोबार का सालाना कारोबार लाखों में है.

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