जीवन में हर किसी को सब कुछ आसानी से बिलकुल भी नहीं मिलता. दिन-रात एक करके महेनत करनी पड़ती है तभी सफलता मिलती है. ऐसे ही एक सफलता हासिल करने वाले एक व्यक्ति हैं अंगद दरयानी.
जो सिर्फ 14 साल की उम्र में 9वीं कक्षा में दो बार फेल हो चुके थे. मगर इस असफलता को अपनी हार न मानकर उन्होंने स्कूल जाना ही छोड़ दिया और 2 साल बाद अंगद दरयानी ने अपनी खुद की दो कंपनियां स्थापित कीं. अंगद दरयानी ने अपनी मेहनत और कुछ अलग करने के जज्बे के दम पर अपने सपने को पूरा करा.
अंगद बताते हैं कि जब वह 10 साल की उम्र के थे तब वे अपने पिता के पास गए और उन्होंने हॉवर क्राफ्ट बनाने की इच्छा जताई. अंगद के विचार का मजाक बनाने के बजाय उनके माता-पिता ने उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करा.
अंगद ने 9वीं कक्षा में ही स्कूल छोड़ दिया था. उनका कहना है कि क्योंकि मैं बार-बार पुराने कॉन्सेप्ट्स को सीखना ही बिलकुल भी नहीं चाहता था. अंगद का यह भी मानना है कि स्कूली शिक्षा में बच्चे नए विचार बिलकुल भी नहीं लाते हैं और किताबों से सिद्धांतों को याद करते हैं, जिन्हें फिर वे बाद में पूरी तरह से भूल जाते हैं. अंगद ग्रेडिंग सिस्टम में विश्वास नहीं करते हैं. अगंद का यह भी मानना है कि ग्रेडिंग सिस्टम से अच्छा है बच्चे घर पर पढ़ाई करे.
वे छोटी उम्र से ही नई-नई चीजें बनाने की कोशिश करते रहते थे और अंगद बचपन में टीवी शो या फिर अपने पिता के ऑफिस के इंजीनियरों से सीखकर कुछ न कुछ नया रचते रहते थे. अंगद शुरुआत से ही रचनात्मक थे अभी 16 साल की उम्र में वह दो कंपनियों को संभाल रहे हैं, जो की क्यूरियोसिटी और इनोवेशन को बढ़ावा देने वाले उत्पाद बनाती है. अंगद शुरुआत से ही एक प्रतिभाशाली किशोर है. उनमें बहुत कम उम्र से ही नई चीजें बनाने का हुनर है.
अंगद 14 साल के थे जब उन्होंने स्कूल छोड़ दिया था मगर स्कूल छोड़ने के सिर्फ 2 साल बाद ही वे 16 साल की उम्र में दो कंपनियां को संभाल रहे हैं. आपको बता दे डॉ. रमेश रस्कर जो की एमआईटी के प्रोफेसर है उनके साथ काम करते हुए अंगद और उनकी टीम ने एक वर्चुअल ब्रैलर भी तैयार करा है.
जो किसी भी पीडीएफ दस्तावेज़ को ब्रैल में बदल सकता है. अभी उन्होंने दो कंपनियां बनाई हैं, शार्कबॉट 3डी सिस्टम्स और शार्क काइट्स. अगंद मुंबई की एक अन्य कंपनी मेकर एसाइलम के संस्थापक सदस्य भी रहे हैं.