सफलता क्या है? इसलिए असफलता से सीखना अपने आप में एक शुरुआत है. आज हमें कई ऐसे चेहरे दिखाई देते हैं जिनकी सफलता पर ही प्रकाश पड़ता है. लेकिन शायद लोगों को इस बात का अंदाजा है कि इन लोगों ने कितनी असफलताओं का स्वाद चखा है. हिंदी सिनेमा में आज कई ऐसे चेहरे हैं जो अपनी एक्टिंग का जलवा दिखा रहे हैं. पंकज त्रिपाठी उनमें से एक हैं. पंकज त्रिपाठी के तोड़ी अभिनेता को आज हाथ की उंगलियों पर गिना जा सकता है.
इंसान मतबल संघर्ष तो होता ही है, इसीमे पंकज त्रिपाठी कोई अपवाद नहीं हैं. सफलता के शिखर पर पहुंचने वाले लोगों के साथ यात्रा के कई उतार-चढ़ाव आते हैं और यही अनुभव पंकज त्रिपाठी की एक्टिंग में भी देखने को मिलता है. आज पंकज त्रिपाठी के पास कई फिल्मों के ऑफर हैं, लेकिन इस मुकाम तक पहुंचने का सफर बेहद मुश्किल था.
पंकज का जन्म एक बेहद गरीब परिवार में हुआ था. बचपन में पंकज के सपने उनकी गरीबी से बाहर आ रहे थे. पंकज बहुत मेहनती थे लेकिन कहते हैं कि उन्हें तब तक सफलता नहीं मिलती जब तक उन्हें लेडी लक नहीं मिलती. शादी के बाद पंकज को अपनी लेडी लक मिली, उनकी पत्नी मृदुला उनकी रीढ़ बनीं और उनके सपनों के पीछे खड़ी रहीं. इसे पत्नी कहा जाता है.
मृदुला के बड़े भाई के पास चीनी का कटोरा था और मृदुला एक छोटे से कमरे में बैठी थी, तभी पंकज और मृदुला की पहली मुलाकात हुई थी. पूरे कार्यक्रम के दौरान पंकज मृदुला को देखते रहे. उनकी पहली यात्रा को लगभग 8 साल हो चुके थे और उनकी शादी 2004 में हुई थी.
कभी गरीब अभिनेता पंकज तिरपति के पीछे आज सबसे बड़ा योगदान उनकी पत्नी का है. पंकज जब मुंबई आए तो उसी कमरे में रह रहे थे, खराब हालात में रह रहे थे. करीब 17 साल पहले उसकी शादी हुई थी. शादी के बाद दोनों मुंबई आ गए और एक ही कमरे में रहने लगे. मृदुला एक जगह काम कर रही थीं जब पंकज अभिनय के क्षेत्र में आगे बढ़ रहे थे.
उस समय मृदुला अपने पति के सपनों का मुख्य आधार थीं. मृदुला एक स्कूल में शिक्षिका थीं, जब वह मुंबई आईं तो उन्हें नौकरी मिल गई और मैं अभिनय में संघर्ष कर रही थी. यदि आप मुझसे पूछें कि संघर्ष क्या है, संघर्ष के समय मैं सड़क पर या फुटपाथ पर सोना नहीं जानता, मुझे ये बातें नहीं पता क्योंकि मेरी पत्नी मृदुला को दोष देना है. क्योंकि उसने घर की सारी जिम्मेदारी संभाली थी. मैं हमेशा कहता हूं कि मृदुला घर की आदमी थीं. ऐसा पंकज कहते हैं.