फ्रेशवर्क्स कंपनी को लेकर इन दिनों बड़ी चर्चा है. सॉफ्टवेयर बनाने वाली यह भारत की पहली ऐसी कंपनी है, जो नैस्डेक पर लिस्ट हो चुकी है. यह अमेरिकी शेयर बाजार के एक सूचकांक का नाम है, जैसे भारत में निफ्टी है.
इस कंपनी का मार्केट कैप 12.2 बिलियन डॉलर है. इस कंपनी ने अपने कर्मचारियों को भी शेयर भी दिए थे. और वो कंपनी के 500 कर्मचारी भी बन गए हैं करोड़पति, आज हम आपको इस कंपनी के बारे में पूरी जानकारी देने जा रहे हैं.
क्या काम करती है फ्रैशवर्क्स
यह एक सॉफ्टवेयर-ऐज-ए-सर्विस जैसी कंपनी है. इस कंपनी की शुरुआत साल 2010 में फ्रेशडेस्क से हुई थी वर्तमान में, फ्रेशवर्क्स अन्य कंपनियों को एआई आधारित ग्राहक सेवा, आईटी सेवा प्रबंधन, बिक्री और विपणन स्वचालन, और मानव संसाधन प्रबंधन सेवाएं प्रदान करता है.
किस तरह से आया इतना शानदार आइडिया
इस कंपनी की शुरुआत करीब एक दशक पहले 2010 में हुई थी. कंपनी के संस्थापक गिरीश मात्रुबूदम और शान कृष्णासामी हैं. इस बारे में खुद गिरीश मात्रुबूदम ने एक इंटरव्यू में बताया था, बात 2009 की है, जब गिरीश ऑस्टन टेक्सॉस से काम करते थे.
गिरीश अपना बोरी-बिस्तर बांधकर अमेरिका से चेन्नई (भारत) शिफ्ट हो रहे थे. इसके बाद गिरीश चेन्नई पहुंचे. लेकिन उनका माल पहुंचने में ढाई महीने लग चुके थे. उनके सामान में 40 इंच का एलसीडी टीवी भी था. तब उन्होंने सामान देखा तो वह टीवी टूटा हुआ था.
तब उन्होंने अपनी यह पूरी घटना एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म R2IClub फोरम पर डाली. एक देश से दूसरे देश में जाने वाले लोग इस मंच पर अपने अनुभव साझा करते हैं. गिरीश ने जैसे ही इस मंच पर अपनी समस्या रखी, अगले ही दिन टीवी बनाने वाली कंपनी के अध्यक्ष आए और गिरीश को हुई असुविधा के लिए माफी मांगी. और उन्हें उनके पैसे दे दिए. इस तरह उनके मन में यह विचार आया. इसलिए उन्होंने अपनी खुद की कंपनी बनाई और कंपनी ने बहुत अच्छे सॉफ्टवेयर बनाया.
ज़ोहो और फ्रैशवर्क्स दोनों की दुश्मनी
ज़ोहो ने फ्रेशवर्क्स पर बहुत ही गंभीर आरोप लगाए हुए हैं. साल 2020 में ये दुश्मनी और भी गहरी हो चुकी थी, जब ज़ोहो ने कानूनी मामला दायर करा. ज़ोहो का कहना है कि फ्रेशवर्क्स कंपनी ने उनकी गोपनीय जानकारी चुरा ली है और उसी से अपना व्यवसाय बनाया है.
इतना ही नहीं ज़ोहो ने यह भी आरोप लगाया है कि फ्रेशवर्क्स ने अवैध रूप से अपने कर्मचारियों और ग्राहकों को भी अपना बनाया हुआ है. हालांकि, फ्रेशवर्क्स कंपनी ने हमेशा इन आरोपों का खंडन किया है. मामला अभी भी चल रहा है.